Side Effects of Holi Colours : 18 मार्च को होली है और सभी इस त्योहार का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। लोगों ने अभी से खरीदारी शुरू कर दी है। होली के रंग-बिरंगे रंगों से बाजार सज गया है। हालांकि, बाजार में मिलने वाले ज्यादातर होली के रंग सिंथेटिक होते हैं, जिन्हें तैयार करने में कई हानिकारक रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है। इन रंगों में लेड ऑक्साइड, कॉपर सल्फेट, मरकरी सल्फाइट, क्रोमियम आयोडाइड, एल्युमिनियम ब्रोमाइड आदि होते हैं। ये सभी रसायन बालों, त्वचा, आंखों, फेफड़े, किडनी आदि को नुकसान पहुंचा सकते हैं। आइए जानते हैं कि कृत्रिम रंगों से स्वास्थ्य पर क्या-क्या नुकसान होते हैं।
हरे रंग में कॉपर सल्फेट होता है, जिससे आंखों में एलर्जी और अस्थायी अंधापन हो सकता है। लाल रंग में मौजूद मरकरी सल्फाइड त्वचा के कैंसर और अन्य समस्याओं जैसे मानसिक मंदता, खराब दृष्टि और पक्षाघात के खतरे को बढ़ा सकता है। बैंगनी रंग में मौजूद क्रोमियम आयोडाइड ब्रोन्कियल अस्थमा और एलर्जी का कारण बनता है। चांदी में मौजूद एल्युमिनियम आयोडाइड कार्सिनोजेनिक (कैंसर के खतरे को बढ़ाता है) है। नीले रंग में पाया जाने वाला प्रशिया ब्लू कॉन्टैक्ट डर्मेटाइटिस का कारण बन सकता है। (Side Effects of Holi Colours)
होली में बने कृत्रिम रंगों में औद्योगिक रसायनों का प्रयोग किया जाता है। काले रंग में लेड ऑक्साइड, हरे रंग में कॉपर सल्फेट, नीले रंग में कोबाल्ट नाइट्रेट, लाल रंग में जिंक नमक, मरकरी सल्फेट जैसे रसायन पाए जाते हैं। रंगों में चमक लाने के लिए अभ्रक और कांच के कण भी मिलाए जाते हैं। इन रसायनों की वजह से त्वचा पर एलर्जी, खुजली, सूखापन, रैशेज, फोड़े-फुंसी, घाव जैसी समस्याएं हो सकती हैं। होली के दिन हर्बल रंगों का प्रयोग करना बेहतर होता है, खासकर वे लोग जिनकी त्वचा बहुत संवेदनशील होती है। (Side Effects of Holi Colours)
अगर होली खेलते समय आंखों में कृत्रिम रंग लग जाएं तो आपकी आंखों को कुछ समय के लिए नुकसान हो सकता है। इससे जलन, चुभन, आंखों का लाल होना, एलर्जी, कॉर्नियल अल्सर, नेत्रश्लेष्मलाशोथ, अस्थायी अंधापन हो सकता है। अगर रंग आंखों में चला जाए तो आंखों को मलें नहीं और आंखों पर पानी छिड़क कर तुरंत साफ करने की कोशिश करें।
होली में इस्तेमाल होने वाले काले रंग में मौजूद लेड ऑक्साइड सांस के जरिए शरीर में प्रवेश कर किडनी को सीधा नुकसान पहुंचा सकता है। होली खेलते समय किसी की आंख, नाक, कान, मुंह में जबरदस्ती रंग न लगाएं।
अगर आपको सांस की कोई समस्या है या अस्थमा है तो आपको केमिकल युक्त रंगों से होली खेलना नहीं भूलना चाहिए। होली के रंगों में मौजूद हानिकारक रसायन, कण नाक के रास्ते सांस की नली में पहुंचकर समस्या पैदा कर सकते हैं। इससे आपको अस्थमा का दौरा पड़ सकता है। बैंगनी रंग में मौजूद क्लोरीन आयोडीन अस्थमा को ट्रिगर कर सकता है। अगर आप होली खेलने के लिए घर से बाहर नहीं निकलते हैं तो बेहतर होगा कि अपने मुंह और नाक पर मास्क या रुमाल बांधे।
Side Effects of Holi Colours
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