India News (इंडिया न्यूज़)Jaipur,जयपुर: अस्थमा एक ऐसी बिमारी है जो सांसों से जुड़ी है। यह बिमारी हर साल लाखों लोगों की मौत का कारण बनती है। एक रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में यह रोग हर साल 45 लाख से अधिक लोगों की मौत का कारण बनता है जिसमें से करीब 43 फीसदी मौतें भारतीय लोगों की होती हैं। अस्थमा जैसा बिमामी को ले जीवन रेखा हॉस्पिटल में स्वास्थ्य परिचर्चा आयोजित हुई। जिसमें सीनियर श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ शुभ्रांशु और डॉ देवेश कानूनगो ने लोगों को यह जानकारी दी। डॉ शुभ्रांशु ने कहा कि अस्थमा को लेकर गलत जानकारियों, देखरेख-बीमारियों के निदान में देरी और मरीजों को समय पर दवा न मिल पाने के कारण यह रोग बढ़ता जा रहा है। दुनियाभर में अस्थमा के कुल रोगियों में से 10 फीसदी मामले अकेले भारत से ही रिपोर्ट किए जाते हैं।
डॉ कानूनगो ने बताया कि अस्थमा, बच्चों से लेकर वयस्कों तक किसी को भी हो सकता है। वायुमार्गों के आसपास की मांसपेशियों में सूजन और इसके संकीर्ण हो जाने के कारण इस तरह की दिक्कत होती हैं। अस्थमा के रोगियों के लिए सांस लेना कठिन हो सकता है, कई बार अस्थमा अटैक की स्थिति में जटिलताएं और भी बढ़ सकती हैं।
अस्थमा, कोल्ड-फ्लू जैसे वायरस से संक्रमण, एलर्जी, धूल-धुंए आदि के कारण ट्रिगर हो सकता है। अस्थमा रोग, वायुमार्ग या ब्रोन्कियल नलियों की अंदरूनी परतों में सूजन का कारण बनती है। इससे फेफड़ों में हवा का संचार बाधित हो सकता है, जिसके कारण रोगियों को सांस लेने में दिक्कत और सांस छोड़ते समय सीटी-घरघराहट की आवाज आ सकती है। अस्थमा अटैक के दौरान, वायुमार्ग सूज जाते हैं उनके आसपास की मांसपेशियां कड़ी हो जाती हैं जिसके कारण फेफड़ों में हवा का आना-जाना मुश्किल हो जाता है। जल्द ही इसका इलाज नही किया गया तो यह स्थिति गंभीर हो सकती है।