India News (इंडिया न्यूज़),Blue Light Eye Protection: आज-कल की जमाने में हर कोई बहुत व्यस्त है। अगर बात करें जॉब की तो ज्यादातर जॉब कंप्यूटर की होती है, क्योकि आज की दुनिया में रासा काम आनलाइन होता है और इन्ही कंप्यूटर, लैपटाप और मोबाइल से निकलने वाली नीली रोशनी हमारे रेटिना को नुकसान पहुंचाती है। बता दें कि मैक्युलर डीजनरेशन की वजह बन सकती है। हालांकि अभी भी इस पर रिसर्च जारी है।
डिजिटल उपकरणों की वजह से आंखों पर बढने वाला तनाव इस बात पर भी निर्भर करता है कि हम इन उपकरणों का किस तरह से इस्तेमाल करते हैं। लंबे समय तक इनका प्रयोग करने से आंखों में खुश्की, धुंधलापन, आंखों से पानी आना, सिर में दर्द और पलकें झपकने की दर कम होना जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। यह कहना है कि एम्स में नेत्र रोग विभाग की प्रभारी डा. भावना शर्मा का, जिन्होंने हमें नीली रोशनी के आंखों पर दुष्प्रभाव को लेकर कई खास बातें भी बताईं।
डा. भावना शर्मा ने बताया कि इस खतरनाक ब्लू लाइट का असर सिर्फ आंखों पर ही नहीं पड़ता, बल्कि इससे ओवरआल सेहत प्रभावित होती है। नीली रोशनी हमारे शरीर के जागने और सोने के नेचुरल सर्कल को प्रभावित करती है। लंबे समय तक डिजिटल उपकरणों से निकलने वाली नीली रोशनी के संपर्क में रहने (खासतौर पर रात के समय) से नींद डिस्टर्ब हो सकती है। नींद में किसी भी तरह की बाधा शारीरिक और मानसिक सेहत पर असर डालती है। इसलिए बहुत जरूरी है रात में सोने से 2-3 घंटे पहले स्क्रीन से दूरी बना लें। आंखों पर पड़ने वाले तनाव को कम करने के लिए, स्वस्थ आदतें अपनाएं। काम के बीच-बीच में ब्रेक लें। इसके लिए 20-20-20 का नियम अपनाएं। यानी हर 20 मिनट के बाद कम से कम 20 सेकंड के लिए डिजिटल डिवाइस से 20 फीट दूर हो जाएं। इससे आंखों को आराम मिलता है, आंखों पर पड़ने वाला तनाव कम होता है। उन्होंने ये भी बताया कि कई रिसर्च में ये पाया गया है कि नीली रोशनी को रोकने वाले चश्मे, आंखों को सुरक्षा देते हैं।