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बुढ़ापे से परेशान होकर लेटे ट्रेन के आगे, लेकिन स्पीड कम होने की वजह से बच गई जान

• LAST UPDATED : November 4, 2022

(जयपुर): बुढ़ापे से परेशान 80 साल के पति-पत्नी ने एक साथ मरने की फैसला किया। इसके लिए वे ट्रेन के आगे आकर लेट भी गए, लेकिन ट्रेन की स्पीड कम होने की वजह से दोनों की जान बच गई।

वहां मौजूद लोगों ने जब उठाया तो कहने लगे हमें अब नहीं जीना है। दोनों से समझाबुझा कर वृद्धाश्रम भेज दिया गया है। यह मामला अलवर शहर के हसन खां के पास डबल फाटक का है। ट्रेन की स्पीड कम थी इसलिए दोनों की जान बच गई

दोनों ने साथ में मरने की सोची

अपको बता दे कि 82 साल के बाबू सिंह और 80 साल की छोटी देवी 10 साल से अलवर में रह रहे हैं। बाबू सिंह चौकीदारी करते हैं। दोनों भरतपुर के कुम्हेर के किशनपुरा गांव के रहने वाले हैं। दोनों के संतान नहीं है। ऐसे में अलवर शहर में ही झुग्गी बनाकर अपना ठिकाना बना लिया।

बाबू सिंह ने बताया कि उम्र के इस पड़ाव में उन्हें संभालने वाला कोई नहीं है। अब वे चौकीदारी कर थक चुके हैं। उन्हें लगा कि दोनों में से यदि किसी एक की पहले मौत हो गई तो उनका जीवन आगे कैसे निकलेगा। ऐसे में दोनों ने साथ में मरने की सोची।

ट्रेन की पटरी पर सो गए

इस पर वे हसन खां फाटक से 200 मीटर आगे पहुंचे और पटरी पर सो गए। रेलवे के इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के ट्रेडमैन मुकेशन ने बताया कि सुबह 8 बजे जयपुर से गरीब रथ ट्रेन आ रही थी। स्पीड करीब 30किमी प्रतिघंटा थी। जब फाटक से नजर पटरी पर पड़ी तो देखा कि दोनों लेटे हुए थे। इस पर वहां पहुंचे और दोनों को हटाया।

बुजुर्ग दंपती को नया दिया नया जीवन

इंजीनियर विभाग में ट्रेडमैन के पद पर काम करने वाले मुकेश कुमार इस घटना के प्रत्यक्षदर्शी ही नहीं बल्कि उस बुजुर्ग दंपती को नया जीवन देने वाले भी हैं। मुकेश ने बताया कि हम डबल फाटक पर पटरी दुरुस्तीकरण के काम में लगे थे। लेकिन अचानक पीपल के पेड़ के पास बूढ़े पति-पत्नी पटरी सो गए। मैं तुरंत उनकी तरफ दौड़ा। लेकिन, उससे पहले ही

हमें मर जाने दो

जब मैंने बुजुर्गों को पटरी से दूर किया तो बोले हमें मर जाने दो। हमारा कोई सहारा नहीं है। चौकीदारी का काम करने का दम नहीं रहा है। हमारा अपना कोई नहीं है। न संतान है न अपना परिवार का कोई चाहता है।

भरतपुर के कुम्हेर के किशनपुरा गांव में उनके चाचा-ताऊ के परिवार हैं। लेकिन उनकी कोई संतान नहीं है। न अब खुद का घर है न कोई उनको संभालने वाला। इसलिए उम्र के आखिरी पड़ाव में दोनों एक साथ भगवान के घर जाने के लिए पटरी पर आकर सो गए।

बुजुर्ग दंपति की चली जाती जान

रेलवे में सीनियर सेक्शन मैनेजर इंद्राज मीणा ने बताया कि ट्रेन की स्पीड केवल 30 की स्पीड पर थी। वरना बुजुर्ग दंपति की जान नहीं बच पाती। यह गरीब रथ एक्सप्रेस ट्रेन थी।

जरूरत होने पर अपके बच्चों की तरह रहेंगे तैयार

आखिर में दोनों को राठ नगर स्थिति अपना आसरा वृद्धाश्रम लाया गया। यहां शहर के डॉ पकंज गुप्ता उनसे मिलने गए। आश्वस्त भी किया कोई जरूरत हो तो वे आपके बच्चों की तरह तैयार रहेंगे।

हमने कह दिया कि हम आपके बच्चे हैं

बुजुर्ग को रेलवे की पटरी से हटाने के बाद सामाजिक कार्यकर्ता अश्वनी जावली को सूचना मिली। वे खुद शिवाजी पार्क थाने गए। वहां पुलिस से बातचीत की।

इसके बाद बुजुर्ग को सम्मान के साथ डबल फाटक के पास स्थित गुरुनानक आसरा वृद्धाश्रम लाया गया। यहां दोनों को एक ही कमरे में रखा गया है। अश्वनी जावली ने बताया कि हमनें बुजुर्गों की काउंसिलिंग की है। हमने कह दिया कि आपके हम बच्चे हैं। एल्डर हेल्पलाइन ऐसे लोगों के लिए काम करती है। मैं भी उसका हिस्सा हूं।

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