India News Rajasthan (इंडिया न्यूज़), हिंदू धर्म में नीम के पेड़ को भगवान विष्णु का प्रतीक और नीम नारायण माना जाता है और यही वजह है कि नीम के पेड़ की पूजा भी की जाती है। वैसे तो बहुत से गांव ऐसे हैं जहां पर नेम के पेड़ को काट दिया जाता है, लेकिन आज हम आपको ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे है, जहां पर नीम के पेड़ को नुकसान पहुंचाने या फिर काटने पर जुर्माना भी भरना पर जाता है और इस फैसले को सभी गांव वालों को मानना भी पड़ता है।
प्रदेश के अजमेर जिले के पदमपुरा गांव में पीढ़ियों से नीम का पेड़ नहीं काटने या किसी तरह का नुकसान न पहुंचाने की परंपरा चली आ रही है। मान्यताओं के मुताबिक, नीम का पेड़ भगवान विष्णु के रूप देवनारायण से जुड़ा है, गांव में अधिकतर आबादी गुर्जर समाज के लोग की है और गुर्जर समाज के लोगों के इष्ट देव भगवान देवनारायण है। और यही वजह है कि गांव वाले नीम के पेड़ों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। नीम के पेड़ों के प्रति लोगों में काफी गहरी आस्था है।
इसी वजह से नीम के पेड़ काटने या किसी भी तरह का नुकसान पहुंचाने वाले पर जुर्माना लगाया जाता है। नीम की टहनियां या पत्तियों में औषधीय गुण होते हैं । इस वजह से इन्हे जरूरत के हिसाब से ही तोड़ा जाता है, तो वहीं इसे बकरियों को खिलाने या किसी भी प्रकार के मनोरंजन के लिए तोड़ना पूरी तरह से मना है।
अजमेर के पदमपुरा गांव के ग्रामीण पिछले सात शताब्दियों से नीम के पेड़ों को रक्षा कर रहे हैं, इतना कि पेड़ों को काटना भी यहां अपराध माना जाता है। पदमपुरा गांव वृक्ष प्रेमियों और पर्यावरण के लिए काम करने वालों के लिए एक रोशनी की किरण है। इस गांव में नीम के पेड़ों को काटना कई पीढ़ियों से अपराध माना जाता रहा है। इस गांव का हर व्यक्ति नीम को पवित्र मानता है और इसकी रक्षा के लिए आगे रहता है।
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