होम / Asaram bail Case: दूसरी याचिका खारिज होने के बाद आसाराम ने खटखटाया राजस्थान उच्च न्यायालय का दरवाजा, दो सप्ताह में मांगा जवाब

Asaram bail Case: दूसरी याचिका खारिज होने के बाद आसाराम ने खटखटाया राजस्थान उच्च न्यायालय का दरवाजा, दो सप्ताह में मांगा जवाब

• LAST UPDATED : September 16, 2023

India News (इंडिया न्यूज), Asaram bail Case: आसाराम ने पैरोल के अनुरोध वाली अपनी याचिका के दूसरी बार खारिज होने के बाद राहत के लिए इस बार राजस्थान उच्च न्यायालय का रास्ता खटखटाया है। यह जानकारी खुद आसाराम के वकील ने शनिवार यानी 16 सितंबर को दी। अदालत ने आसाराम की याचिका स्वीकार करते हुए राज्य सरकार को शुक्रवार यानी 15 सितंबर को एक नोटिस जारी किया था। जिसमें दो सप्ताह में जवाब देने को कहा गया है।

आसाराम आजीवन कारावास की सजा काट रहा

आपको बता दें कि स्वयंभू बाबा आसाराम को उसके आश्रम में एक किशोरी के यौन उत्पीड़न के मामले में 25 अप्रैल 2018 को दोषी ठहराया गया था, जिसके बाद से आसाराम आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। आसाराम के वकील कालू राम भाटी ने कहा “जिला पैरोल समिति ने उसकी याचिका को इस आधार पर दूसरी बार खारिज कर दिया कि पैरोल पर उसे रिहा किए जाने से कानून-व्यवस्था संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।” भाटी ने यह भी बताया, “आसाराम ने 20 दिन की पैरोल का अनुरोध करते हुए एक याचिका दायर की थी, लेकिन समिति ने पुलिस की नकारात्मक रिपोर्ट का हवाला देते हुए इसे खारिज कर दिया।”

आसाराम के वकील कालू राम भाटी ने दी दलील 

आपको बता दें कि अदालत में स्वयंभू बाबा आसाराम के वकील कालू राम भाटी ने दलील दी “आसाराम 11 साल से जेल की सजा काट रहा है और यहां तक कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने भी उसके लिए पैरोल की सिफारिश की है।” उन्होंने कहा, “इसके अलावा, जेल में इस पूरी अवधि के दौरान उसका (आसाराम का) व्यवहार संतोषजनक रहा और वह अपनी स्वास्थ्य और वृद्धावस्था के कारणों से पैरोल पर रिहाई का हकदार है।” इसके अलावा बता दें कि अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल जोशी ने अपना जवाब दाखिल करने के लिए कुछ समय मांगा, जिसके बाद न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई और न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रकाश सोनी की खंडपीठ ने उन्हें दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

‘राजस्थान प्रिजनर्स रिलीज ऑन पैरोल नियम’

आसाराम की ये कोई पहली याचिका नही है, इससे पहले भी, आसाराम की पैरोल याचिका को समिति ने इस आधार पर खारिज कर दिया था कि वह ‘राजस्थान प्रिजनर्स रिलीज ऑन पैरोल नियम’, 2021 (2021 के नियम) के प्रावधानों के तहत पैरोल का हकदार नहीं है। जिसके बाद स्वयंभू बाबा ने जुलाई में उच्च न्यायालय का रास्ता अपनाया था। आसाराम के वकील ने तब दलील दी थी, यह नियम उनके मुवक्किल पर लागू नहीं होता, क्योंकि इसके क्रियान्वयन से पहले ही उसे दोषी ठहरा दिया गया था और सजा सुनाई गई थी। बता दें कि तब उच्च न्यायालय ने आसाराम की याचिका का निपटारा करते हुए समिति को 1958 वाले पुराने नियमों के आलोक में उसकी पैरोल याचिका पर दोबारा विचार करने का निर्देश दिया था।

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