India News RJ ( इंडिया न्यूज ),Rajasthan News: राजस्थान मेडिकल एजुकेशन सोसायटी (राजएमईएस) में पहले से कार्यरत चिकित्सा शिक्षकों को डाइंग कैडर घोषित करने के विरोध में राजस्थान के 700 से अधिक चिकित्सक 22 जुलाई से सामूहिक अवकाश पर रहेंगे। इससे प्रदेशभर के 17 मेडिकल कॉलेजों में विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित होगी।
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राजएमईएस में वर्ष 2017 से कार्यरत चिकित्सा शिक्षकों की मांग है कि उन्हें डाइंग कैडर से हटाया जाए तथा उन पर भी नए नियम लागू किए जाएं, ताकि उन्हें ग्रुप-1 के चिकित्सा शिक्षकों की तरह वेतन व अन्य सुविधाएं मिल सकें। चिकित्सकों ने चेतावनी दी है कि यदि राज्य सरकार सोमवार से पहले उनकी मांगों पर कोई निर्णय नहीं लेती है तो 22 जुलाई से राजएमईएस के अधीन 17 मेडिकल कॉलेजों के 700 से अधिक चिकित्सा शिक्षक अनिश्चितकालीन सामूहिक अवकाश पर चले जाएंगे।
राजमेस के अधीन राज्य के 17 मेडिकल कॉलेज हैं, जिनमें चित्तौड़गढ़, बूंदी, श्रीगंगानगर, डूंगरपुर, अलवर, करौली, धौलपुर, भरतपुर, भीलवाड़ा, बाड़मेर, चूरू, दौसा, हनुमानगढ़, पाली, सीकर, झालावाड़ और सिरोही जिले के मेडिकल कॉलेज शामिल हैं। डॉक्टरों ने इन सभी मेडिकल कॉलेजों के प्रिंसिपलों को डाइंग कैडर हटाने को लेकर ज्ञापन सौंपे हैं। अगर राज्य सरकार इस पर कोई फैसला नहीं लेती है तो अकेले चित्तौड़गढ़ मेडिकल कॉलेज में ही 75 से ज्यादा मेडिकल शिक्षक सामूहिक अवकाश पर चले जाएंगे।
गहलोत सरकार ने बजट में घोषणा करने के बाद राजएमईएस में राज्य सेवा नियमों को लागू कर दिया था। लेकिन हाल ही में जारी नए आदेश में इन सभी डॉक्टरों को डाइंग कैडर घोषित किया गया। और आगे कहा गया कि 1 अगस्त 2024 के बाद जितनी भी नई भर्तियां होंगी, उन्हें बढ़ा हुआ वेतन समेत अन्य सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। सरकार के इस फैसले का पुराने डॉक्टर विरोध कर रहे हैं और डीएम समेत कॉलेज प्राचार्यों को ज्ञापन सौंपकर उन पर भी नियम लागू करने की मांग कर रहे हैं।
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