देश में हेलीकॉप्टर से लाखों मच्छर छोड़े जा रहे हैं, कहा जा रहा है कि चमकीले रंग के हनीक्रीपर पक्षी मलेरिया से मर रहे हैं
जो 1800 के दशक में पहली बार यूरोपीय और अमेरिकी जहाजों द्वारा लाए गए मच्छरों से फैलता है
चूंकि उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं हुई है, इसलिए संक्रमित मच्छर के एक बार काटने पर ही पक्षी मर सकते हैं
देश में हनीक्रीपर की 33 प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं. जो 17 बची हैं, उनमें से कई बेहद खतरे में हैं