भारत हो या अमेरिका, EVM को लेकर तमाम चर्चाएं हो रही हैं कि विकसित देश कहे जाने वाले अमेरिका में EVM के बजाय बैलेट पेपर से क्यों वोटिंग होती है।
1800 के दशक के अंत में ही अमेरिकी चुनावों में मेकेनिकल वोटिंग मशीन सामने आई थी। लेकिन आज वहां लोग बैलेट पेपर से वोट कर रहे है।
अमेरिका के ओरेगन, कोलोराडो और वाशिंगटन में पूरी तरह बैलेट पेपर से मतदान होता है। वही, डेलावेयर और जॉर्जिया समेत 5 अन्य राज्यों में EVM से वोटिंग कराई जाती है।
एक टेक्नोलॉजी संपन्न देश अमेरिका की जनता का पेपर वोटिंग करती है। इसके पीछे दो वाजिब वजह है।
अमेरिका में ईएसी के अध्यक्ष टॉम हिक्स ने TIME के हवाले से बताया कि कागजी वोटिंग के इस्तेमाल को जारी रखने का प्राथमिक कारण सुरक्षा और मतदाताओं को जागरूक करना है।
2000 के दशक के मध्य से अमेरिका और यूरोपीय देशों में EVM से वोटों की काफी हद तक कमी आई है।
साल 2000 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में मतगणना की कुछ ‘गड़बड़ी’ सामने आई। जिसके बाद सरकार ने अलग से 3 बिलियन डॉलर का बजट डीआरई मशीनें खरीदने के लिए इस्तेमाल किया।
अमेरिका में EVM से वोटों की सबसे बड़ी कमी ये है कि इसमें EVM के बैकअप के लिए कोई फिजिकल रिकॉर्ड मौजूद नहीं है। इसका मतलब यह है कि मशीनें हैक या खराब नहीं हो सकती जिससे वोट बदला या खो सकता है।
सोशल मीडिया पर EVM की गिरती लोकप्रियता और सुरक्षा कमजोरियों का खूब प्रचार किया गया। एक रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप जैसे नेताओं ने झूठा दावा कर मतदान और मिलान मशीनों में हेरफेर का आरोप लगाया।