India News Rajasthan (इंडिया न्यूज़), Rajasthan High Court: राजस्थान हाईकोर्ट ने बलात्कार के एक मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। राजस्थान हाईकोर्ट ने हाल ही में 1991 में बलात्कार के एक मामले में दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति को रिहा कर दिया है। हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति को राहत देते हुए कहा कि छह साल की पीड़िता के अंडरवियर उतारना और खुद के कपड़े उतारना बलात्कार नहीं है।
जस्टिस अनूप कुमार ढांड ने सुवालाल की सजा को बलात्कार के प्रयास से बदलकर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 (महिला की शील भंग करने के इरादे से उस पर आपराधिक बल का प्रयोग) में बदल दिया और उसे पहले से पूरी हो चुकी अवधि की सजा सुनाई।
कोर्ट ने कहा, फैसला आईपीसी की धारा 375 के तहत दिया गया है। लेकिन इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि अपीलकर्ता के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं। आरोपी द्वारा अपने और लड़की के कपड़े उतारना यह साबित नहीं कर सकता कि लड़की के साथ कोई गलत काम किया गया और ऐसा करना आईपीसी की धारा 376/511 के तहत अपराध की श्रेणी में नहीं आता है।
आपको बता दें कि, यह पूरा मामला 09.03.1991 को हुआ था और करीब 33 साल बीत चुके हैं और यह अवधि किसी को भी मानसिक, शारीरिक और आर्थिक रूप से थका देने के लिए काफी है। कोर्ट ने यह फैसला टोंक सेशन कोर्ट के फैसले के खिलाफ दोषी द्वारा 1991 में की गई अपील पर सुनाया है। उसे 3 साल छह महीने के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी।
यह मामला 9 मार्च 1991 का है जब शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि उसकी पोती – जो उस समय करीब 6 साल की थी – को आरोपी बलात्कार की नीयत से उठाकर ले गया था। शिकायतकर्ता ने बताया कि जब लड़की ने शोर मचाया तो गांव के लोग आ गए और उसे बचा लिया। जबकि सुवालाल का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने तर्क दिया कि बलात्कार के प्रयास का कोई आरोप नहीं लगाया गया था, पीड़िता के अंतःवस्त्र उतारे गए और उसके अपने कपड़े भी उतारे गए।
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