इंडिया न्यूज़, राजस्थान।
World Sparrow Day : गौरेया के साथ हम सब के बचपन की बहुत सारी यादें जुड़ी हैं। लेकिन गौरैया के साथ जुड़ी ये यादें शायद जल्द ही धुंधली हो जाएंगी। अगर हमने वक्त रहते सही कदम नहीं उठाया। आज विश्व गौरैया दिवस पर बात करते हैं इस नन्ही चिड़िया गौरैया की। (World Sparrow Day)
घरों में चहकाने वाली गौरैया अब दिखाई नहीं देती है। इस छोटे आकार वाले खूबसूरत पक्षी का कभी इंसान के घरों में बसेरा हुआ करता था और बच्चे बचपन से इसे देखते हुए बड़े होते थे लेकिन अब स्थिति बदल गई है। गौरैया के अस्तित्व पर छाए संकट के बादलों ने इसकी संख्या कम कर दी है। कुछ जगहों पर गौरेया बिल्कुल दिखाई नहीं देती है। गौरैया अब विलुप्त हो रही प्रजातियों की सूची में आ गई है। (World Sparrow Day)
परबतसर और आस-पास के क्षेत्र में दो प्रजाति की गौरैया पाई जाती है, एक घरेलु गौरैया और दूसरी है पीलकण्ठी गौरैया। घरेलू गौरेया का वैज्ञानिक नाम पास्सेर डोमेस्टिक्स और पीलकंठी गौरेया का वैज्ञानिक नाम पेट्रोनिआ जेन्थोंकोलीस है। पील कंठी गौरैया अमूमन इंसानी बस्ती से दूर रहना पसंद करती है जबकि इसके विपरीत घरेलू गौरैया मनुष्य के बनाए हुए घरों के आसपास रहना पसंद करती है। 14 से 18 सेमी लंबी इस चिड़िया को हर तरह की जलवायु पसंद है। आंध्र विश्वविद्यालय के अध्ययन के मुताबिक गौरैया की आबादी में करीब 60 फीसदी की कमी आई है। जो दोनों ग्रामीण और शहरों इलाकों में हुआ है। वहीं पश्चिमी देशों में हुए अध्ययन के मुताबिक गौरैया की आबादी घटकर खतरनाक स्तर तक पहुंच गई है। (World Sparrow Day)
नागौर के पूर्व जिला कलेक्टर और वर्तमान में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक डॉ जितेंद्र कुमार सोनी (Jitendra Kumar Soni) भी पक्षियों को बचाने के लिए परिंडा अभियान जैसी मुहिम चला रहे है। हाल ही उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए गौरेया को सरंक्षित करने की अपील की है। शहर के पक्षी वैज्ञानिक रौनक चौधरी का कहना है कि आवासीय ह्रास, अनाज में कीटनाशकों के इस्तेमाल, आहार की कमी और मोबाइल टॉवरों से निकलने वाली सूक्ष्म तरंगें, गौरैया के अस्तित्व के लिए खतरा बन रही हैं। लोगों में गौरैया को लेकर जागरूकता पैदा किए जाने की जरूरत है। (World Sparrow Day)
गौरैया को फिर से बुलाने के लिए लोगों को अपने घरों में कुछ ऐसे स्थान उपलब्ध कराने चाहिए। जहां वे आसानी से अपने घोंसले बना सकें और उनके अंडे और बच्चे हमलावर पक्षियों से सुरक्षित रह सकें। गौरैया की आबादी में ह्रास का एक बड़ा कारण ये भी है कि कई बार उनके घोंसले सुरक्षित जगहों पर ना होने के कारण कौए जैसे हमलावर पक्षी उनके अंडों तथा बच्चों को खा जाते हैं। आपको बता दें कि साल 2010 में पहली बार 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया गया। इसके बाद हर साल 20 मार्च को ये दिवस मनाया जाता है,ताकि लोग इस पक्षी के संरक्षण के प्रति जागरूक हो सकें। (World Sparrow Day)