India News (इंडिया न्यूज़), Hindi Sahitya Samiti: पूर्व राजमाता मांजी गिर्राज कौर की प्रेरणा से 13 अगस्त 1912 को हिंदी साहित्य समिति की स्थापना की गई थी। जब समिति की शुरुआत हुई थी तो शहर के लोगों ने अपने घरों से पांच पुस्तकें लाकर यहां रखी थीं। बाद में समिति का धीरे-धीरे विस्तार हुआ और यह उत्तर भारत का प्रमुख पुस्तकालय बन गया। वर्तमान में हिंदी साहित्य समिति पुस्तकालय में 44 विषयों पर 33,363 पुस्तकें उपलब्ध हैं, जिनमें 450 वर्ष पुरानी 1500 से अधिक अमूल्य पांडुलिपियाँ शामिल हैं।
समिति के पास 44 विषयों पर पुस्तकें हैं, जिनमें वेद, संस्कृत, ज्ञान, उपनिषद, कर्मकांड, दर्शन, तंत्र मंत्र, पुराण, प्रवचन, रामायण, महाभारत, ज्योतिष, राजनीति विज्ञान, भूदान, अर्थशास्त्र, प्रश्न शास्त्र, पर्यावरण, रितिक ग्रंथ के अलावा शामिल हैं। कविता, भूगोल, विदेशी इतिहास और भारतीय इतिहास सहित कई विषय। त्रिलोकीनाथ ने कहा कि हिंदी साहित्य समिति का पहला अधिवेशन वर्ष 1927 में आयोजित किया गया था, जिसमें नोबेल पुरस्कार विजेता और राष्ट्रीय कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने भी भाग लिया था।
टैगोर के अलावा, मदन मोहन मालवीय, राजर्षि पुरूषोत्तम दास टंडन, मोरारजी देसाई, डॉ. राम मनोहर लोहिया, रूसी हिंदी विद्वान बरान्निकोव और पाकिस्तानी नाटककार अली अहमद भी समिति का दौरा कर चुके हैं। गौरतलब है कि हिंदी साहित्य समिति वर्षों से बजट के अभाव और सरकार की ओर से मिलने वाली वित्तीय सहायता के अभाव में आर्थिक संकट से जूझ रही है।
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