India news (इंडिया न्यूज़), suicide Students Case in Kota: शिक्षा नगरी कोटा में छात्रों की खुदकुशी के मामले थमने का नाम नही ले रहे। जिसके चलते सरकार ने कोटा छात्रों के लिए कड़े निर्देश भी दिए थे। लेकिन एक बार फिर छात्रों के बार बार आत्महत्या के मामलों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। कोटा में छात्रों की बढ़ती आत्महत्याओं की घटनाओं को रोकने के लिए कुछ दिनों पहले राज्य सरकार के निर्देश पर उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया।
इस कमेटी में शामिल एक्सपर्ट ने सभी तरह के मामलों का अध्ययन करके एक रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट में कई तरह के सुझाव बिंदु तय किए गए हैं। इसके बाद यह रिपोर्ट मुख्य सचिव उषा शर्मा को सौंप दी गई है। अब इन बिंदुओं की पालना सुनिश्चित करने के लिए मुख्य सचिव ने जिला कलेक्टर और एसपी को पाबंद किया गया है।
इस कमेटी में शामिल एक्सपर्ट की ओर से दिए गए सुझावों में यह तय किया गया है कि नौवीं कक्षा से पहले छात्रों को किसी भी तरह की कोचिंग में प्रवेश नहीं दिया जा सकेगा। इसके साथ ही 10वीं क्लास हो या इससे ऊपर की कक्षा में अध्ययनरत छात्र अगर कोचिंग सेंटर में पढ़ने जाते हैं तो, कोचिंग संस्थान असेसमेंट रिजल्ट को सार्वजनिक नहीं कर सकेंगे। इसके बाद एक्सपर्ट ने सुझाव दिया कि हर सप्ताह डेढ़ दिन का अवकाश अनिवार्य होगा। गुरुवार, 28 सितंबर को मुख्य सचिव उषा शर्मा ने इस संदर्भ में महत्वपूर्ण बैठक ली। इस बैठक में जिला कलेक्टर और एसपी को इन सुझावों पर अमल कराने के निर्देश दिए गए हैं।
एक्सपर्ट की इस कमेटी में दिए गए सुझावों में ऐसे बिन्दु तय किए गए हैं, जिनका पालन करने से बच्चों में पढ़ाई के तनाव को कम किया जा सकता है। एक्सपर्ट्स की ओर से यह रिपोर्ट तैयार करने के दौरान कई कोचिंग सेंटर के संचालकों से भी विस्तार से चर्चा की गई। 28 सितंबर को हुई इस बैठक के दौरान भी कुछ कोचिंग सेंटर के संचालकों को वीसी के जरिए जोड़ा गया। बता दें कि कोचिंग सेंटर संचालकों को निर्देश दिए गए हैं – अगर कोई स्टूडेंट नौवीं कक्षा से पूर्व कोचिंग छोड़ना चाहे तो उन्हें शेष अवधि की फीस लौटानी होगी। कोचिंग सेंटर में एडमिशन के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट हो। ओरिएंटेशन और काउंसलिंग से छात्र की रुचि का आकलन करने के बाद ही उन्हें एडमिशन दिया जाना तय किया गया है।
आपको बता दें कि बच्चों की काउंसलिंग के दौरान अभिभावकों की मौजूदगी को अनिवार्य कर दिया गया है। कोचिंग सेंटर संचालकों की ओर से बच्चों के अभिभावकों को स्टुडेंट की शैक्षणिक स्थिति और अभिरूचि बताई जाएगी। बच्चों को अपने पसंद का करियर चुनने का अवसर देते हुए उन्हें कई तरह के विकल्प भी बताए जाने होंगे। कोचिंग सेंटर में उतने ही छात्र छात्राओं को प्रवेश दिए जा सकेंगे जिनके बैठने की पर्याप्त सुविधा क्लास रूम में हो। क्लास में अगर बच्चों का कोई टेस्ट लिया जाना हो तो उस टेस्ट का रिजल्ट सार्वजनिक नहीं किया जा सकेगा। साथ ही कोचिंग सेंटर संचालकों को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि योग्य शिक्षकों की नियुक्ति हो और मनोसलाहकारों के साथ काउंसलर की नियुक्तियां भी की जाए।