India News (इंडिया न्यूज),Rajasthan News: राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने में अब केवल तीन से चार महीनों से भी कम समय बचा है। जिसको लेकर सभी पार्टी सक्रिय है। तो वही, नेताओ का एक पार्टी से दूसरी पार्टी में आना जाना शुरू हो गया है। इस बीच कांग्रेस ने जिन्हे बर्खास्त कर दिया था। खबर ये है कि राजेंद्र गुढ़ा अब कांग्रेस का हाथ छोड़ शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) का दामन थाम चुके है। राजेंद्र गुढ़ा की लाल डायरी से राज्य की सियासत गरमाई गई थी। गुढ़ा ने 2 अगस्त को लाल डायरी के तीन पन्ने सार्वजनिक किए थे।
जिसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव को राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (आरसीए) का अध्यक्ष बनाने के लिए हुए पैसों के लेन-देन का उल्लेख है। हालांकि उन्हें इस घटना के बाद मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था। तो वहीं, एकनाथ शिंदे ने कहा “महाराष्ट्र और राजस्थान की धरोहर का मिलन हुआ है।” सीएम शिंदे ने उन्हें शपथ दिलाई। बता दें कि राजस्थान सरकार की कैबिनेट से बर्खास्त होने के बाद राजेंद्र गुढ़ा 24 जुलाई को एक ‘लाल डायरी’ लेकर विधानसभा पहुंचे थे। दावा किया गया था कि डायरी में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत काली करतूतों की पूरी लिस्ट है। हालांकि, उन्हें उस दिन सदन से बाहर कर दिया गया था। गुढ़ा ने कहा था कि कांग्रेस के मंत्रियों और विधायकों ने उनसे वो डायरी छीन ली। इसके बाद विपक्ष पार्टियों ने इन सभी आरोपों को लेकर सीएम अशोक गहलोत पर लगातार निशाना साधा शुरू कर दिया।
आपको बता दें कि राजस्थान के झुंझुनू जिले के उदयपुरवाटी से विधायक राजेंद्र, गुढ़ा गांव के रहने वाले हैं। राजेंद्र ने अपने नाम के साथ गांव का नाम भी जोड़ लिया और इस तरह उनका नाम हो गया राजेंद्र गुढ़ा। राजेंद्र गुढ़ा 2018 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर दूसरी बार विधायक निर्वाचित हुए थे। राजेंद्र गुढ़ा उन नेताओं में शामिल थे जो 2020 में सचिन पायलट जब अपने समर्थक विधायकों के साथ हरियाणा के मानेसर चले गए थे, तब सीएम गहलोत के साथ डटकर खड़े थे।
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