India News (इंडिया न्यूज),BJP CP joshi Statement on corruption: राजस्थान में विधानसभा चुनाव का समय पास आता जा रहा है। ऐसे में सभी विपक्ष नेता एक दूसरे पर लगातार बयानबाजी कर रहे है। इस बीच प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने भी एक बयान दिया जिसमें वे खुद ही फस गए।
बता दें कि मंगलवार यानी 23 मई को बीजेपी मुख्यालय में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान दिए गए बयान पर प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी, कांग्रेस के निशाने पर आ गए। अब कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा ने नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ से तत्काल इस्तीफा देने की बात कही है। तो वही डोटासरा ने यह भी कहा कि जब बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष खुद कह चुके हैं कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के दौरान भारी भ्रष्टाचार हो रहा था तो उन दिनों राजेन्द्र राठौड़ स्वयं मंत्री थे। भ्रष्ट सरकार के कार्यकाल में मंत्री रहने वाले राठौड़ को नेता प्रतिपक्ष के पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है।
आपको बता दें कि मंगलवार, 23 मई की सुबह करीब 10:30 बजे बीजेपी ने प्रदेश मुख्यालय पर प्रेस कांफ्रेंस बुलाई थी। इस प्रेस कांफ्रेंस के दौरान बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी, नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ और राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ीलाल मीणा मीडिया से मिले। प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पत्रकारों ने प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी से पूछा कि डीओआईटी में हुए करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार और कांग्रेस नेता सचिन पायलट अपनी ही सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं। आपका क्या कहना है। इस सवाल का जवाब देते हुए सीपी जोशी ने कहा कि राजस्थान में वर्ष 2013 से लगातार भ्रष्टाचार हो रहा है। भ्रष्ट सरकार को सत्ता में रहने का कोई हक नहीं है। यह बयान देते वक्त सीपी जोशी यह भूल गए कि वर्ष 2013 से लेकर 2018 तक तो उन्हीं की पार्टी की सरकार थी और वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री थी। इस बयान पर जोशी कांग्रेस के निशाने पर आ गए।
बुधवार यानी 24 मई को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में मीडिया से बात करते हुए पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा ने कहा कि राजेन्द्र राठौड़ में जरा भी नैतिकता बची है तो उन्हें तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए। क्योंकि खुद बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष ने वसुंधरा राजे सरकार पर भ्रष्टाचार के सीधे आरोप लगाए हैं। जब राजे सरकार भ्रष्टाचार में डूबी हुई थी तो राजेन्द्र राठौड़ कैसे बच सकते हैं। डोटासरा ने यह भी कहा कि सीपी जोशी कह चुके हैं कि भ्रष्टाचार का खेला 2013 से चल रहा है। उन दिनों राजेन्द्र राठौड़ भी मंत्री थे। ऐसे में राजेन्द्र राठौड़ अपने आप को क्लीन चिट कैसे दे सकते हैं। राठौड़ को जिम्मेदारी लेनी चाहिए और सबसे पहले खुद की जांच करानी चाहिए।
पेपर लीक मामले पर पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा ने आगे कहा कि पूर्ववर्ती भाजपा शासन में भी कई बार पेपर लीक हुए लेकिन राजे सरकार ने इन माफियाओं के खिलाफ कोई कानून नहीं बनाया। उन्होंने कहा कि बीजेपी शासन के समय पेपर लीक के कारण 8 परीक्षाओं के पेपर निरस्त करने पड़े थे। 11 परीक्षाएं ऐसी हैं जिनके पेपर लीक हुए थे। इसके बावजूद भी पेपर निरस्त करने के बजाय नियुक्तियां दे दी गई। डोटासरा ने कहा कि हमने विपक्ष में रहते हुए पेपर लीक का मुद्दा उठाया था लेकिन पूर्ववर्ती सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। कांग्रेस के सत्ता में आते ही पेपर लीक के खिलाफ सरकार कड़ा कानून लेकर आई है।