India News (इंडिया न्यूज)Tonk,टोंक: प्रदेश में विधानसभा चुनाव का समय पास है ऐसे में राज्य सरकार जनता को कई योजनाओं का लाभ दे रही है। इन योजनाओं के बीच सरकार ने राज्य के किसानों को मेवेशियों से अपनी फसलें बचाने के लिए बाड़बंदी करने के विचार को माना। जिसकी किसानों ने खुब सरहाना भी की।
लेकिन अब खबर आ रही है कि ग्रामीण क्षेत्र में पड़ोसी राड के साथ मेवेशियों से फसल बचाव के लिए की जा रही बाड़बंदी (फेंसिंग ) से सडक़ें संकरी होती जा रही है। इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो भविष्य में लम्बे स्तर पर सार्वजनिक निर्माण की सडक़ पर किए गए अतिक्रमण को हटाना विभाग के लिए मुश्किल पैदा कर सकता है।
यही हालात जिलेभर की सडक़ों पर देखा जा सकता है। दो दशक पहले खेतों में खड़ी फसलों के बचाव को लेकर मेडबंदी व कांटों (झांडिय़ों) की बाड़ की जाती थी। लेकिन अब प्रत्येक किसान मवेशियों से फसलों में होने वाले नुकसान के साथ आए दिन लड़ाई झगड़ों से बचने के लिए सीमाज्ञान करवांकर खेत की मेड़ पर खम्भे गाडकऱ तारबंदी करा लेता है।
पिछले दो दशक में बड़े स्तर पर की जा रही तारबंदी से सरकारी भूमि भी छुटी नहीं है। पंचायतों के ग्रामीण तन में चरागाह व सिवायचक भूमि पर लोगों ने अतिक्रमण कर पुख्ता तारफेङ्क्षसग कर ली है। तो वहीं, विभाग इस मामले से अनजान बनी हुई है। स्थिति यह है कि जिले के प्रमुख संपर्क मार्गों पर भी प्रभावशाली लोगों ने सार्वजनिक निर्माण के तहत निर्मित सडक़ों की सीमाओं को भी नहीं छोड़ा है।
बावड़ी से पन्द्राहेड़ा, टोडारायङ्क्षसह-मालपुरा ङ्क्षलक रोड से पथराज-मूण्डियाकला मार्ग, पन्द्राहेड़ा से रीण्डल्यारामपुरा, रीण्डल्या से तिलांजू, मोर से पंवालिया, मांदोलाई से दतोब, हमीरपुर से अलियारी, बरवास, छाणबाससूर्या समेत अन्य पंचायत क्षेत्रों के ऐसे दर्जनों रास्ते हैं। जहां सडक़ किनारे प्रभावशाली लोगों ने खंभे गाडकऱ बाड़बंदी कर दी है। यही नहीं सडक़ सीमा को मिटाते हुए जेसीबी मशीनों से मिट्टी खुदाई कर खेत बना लिया है।
अतिक्रमण से 100 से 200 फीट चौड़ाई वाली सडक़ सीमाएं अब 20 से 30 फीट के रास्तों में तब्दील हो गई है। हालात इतने खराब हो रहे है कि यहां से गुजरते भारी वाहनों के बीच दुपहिया वाहनों को साइड लेना मुश्किल हो जाता है। जहां आए दिन वाहन चालक दुर्घटना का शिकार हो रहे है। ग्रामीणों ने सडक़ किनारे खेतों की सुरक्षा के लिए गाड़े गए खंभों को हटाकर सडक़ सीमाएं निर्धारित की जाए।
किसानों ने खेत और खेत की जमीन को सुरक्षित करके सडक़ किनारे की जमीन पर ही पौंड खोद दिए हैं। ताकि अपने खेत से फसल ले सके और सरकारी जमीन पर खोदे गए पौंड से सिंचाई कर सके। बता दें कि कृषि विभाग की ओर से किसानों को तारबंदी पर अनुदान दिया जाता है। कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक के.के. मंगल के मुताबिक तारबंदी के लिए सामान्य किसान को 40 हजार तथा लघुसीमांत किसान को 48 हजार रुपए दिए जाते हैं। जिले में 575 किसानों को इस योजना में लाभांवित किया गया है। जिन्होंने एक लाख 96 हजार 663.5 मीटर तारबंदी कराई है।
सूत्रों के अनुसार सडक़ किनारे तक किसानों ने खेत की तारबंदी कर दी है। इससे सडक़ संकरी हो गई है। नई सडक़ बनाने के दौरान तो सभी प्रकार का अतिक्रमण हटा दिया जाता है। लेकिन पहले की बनी सडक़ पर तारबंदी की जानकारी मिलने लगी है। इसका सर्वे कराया जाएगा और सडक़ किनारे लगी तारबंदी को हटाया जाएगा। इसके लिए उच्चाधिकारियों को भी अवगत कराया गया है।