कल्पना वशिष्ठ, जयपुर।
Record will be made in Rajasthan : देश में पांच राज्यों के महत्वपूर्ण चुनावों के चलते सियासी माहौल गर्म है, वहीं राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट में ऐसा दांव खेला है कि विपक्ष में इनदिनों काफी बैचेनी देखी जा रही है। ऐसे में अगर गांधी परिवार ने कोई गलती नहीं की तो राजस्थान में रिकार्ड कांगे्रस का बनेगा, यह निश्चित है।
भाजपा नाथी का बाड़ा-रीट-रीट में उलझी रही, इधर राजनीति के हर फन में माहिर सीएम गहलोत अब तक का दमदार बजट देकर देश भर में सुर्खियां बटोर गए। गहलोत ने 2022 का बजट पेश कर विपक्षी पार्टियों का राजनीतिक समीकरण बदल दिया है। यहां तक कि दूसरे राज्य उनके बजट की घोषणाओं की कॉपी कर रहे हैं वहीं जो सत्ता में नहीं हैं वे घोषणा पत्र में गहलोत के निर्णय को शामिल कर रहे हैं। Record will be made in Rajasthan
बड़ा निर्णय कर्मचारियों की पुरानी पेंशन लागू करने का लिया गया, जिसकी चौतरफा तारीफ हो रही है। कर्मचारियों में जोश है, वे आने वाले चुनाव में गहलोत का ये कर्ज उतारने की शपथ ले रहे हैं। राजस्थान में इतिहास रहा है, जिस पार्टी के साथ कर्मचारी गया वो कभी नहीं हारी। ये निर्णय तो कर्मचारी की रोजी रोटी से जुड़ा है, अन्न से गद्दारी नहीं होती।
सीएम को अब थर्ड ग्रेड को बड़ा लाभ तबादलों का मिलने जा रहा है, ये करीब डेढ़ लाख परिवार हैं। डेढ़ करोड़ महिलाओं को स्मार्ट फोन जैसे कई दमदार निर्णय हैं। हकीकत ये है कि प्रदेश में अचानक माहौल बदल गया है। किसानों के कर्ज चुनावों के ठीक पहले माफ कर दिए तो बड़ा गणित हो जाएगा। जनता को तो गहलोत ने पूरी तरह अपनी तरफ घुमा दिया है। चारों तरफ कांग्रेस ही कांग्रेस हो रही है।
इस बीच शगूफा ये भी चल रहा है कि गहलोत को केंद्र में बड़े पद पर कांग्रेस आलाकमान नवाजने की तैयारी में है, यहां कोई और? राजनीतिक पंडितों की मानें तो ये निर्णय हुआ तो गलती भरा होगा। गहलोत ने इस बार वर्षों से चले आ रहे एक बार कांग्रेस-एक बार भाजपा की प्रथा को बदलने की नींव लगभग रख दी है। Record will be made in Rajasthan
लोगों की मानें तो दूसरी बार लगातार कांग्रेस की सरकार बन कर रिकॉर्ड बनने जा रहा है बशर्ते गांधी परिवार पांच राज्यों के चुनाव के बाद बदलाव की “गलती” ना कर दे। इस वक्त गहलोत के सियासी दिमाग ने न केवल जनता बल्कि उनकी पार्टी के नेताओं को भी आकर्षित किया है। एक बड़े बवंडर को उन्होंने राजनीतिक परिपक्वता से धराशाही कर दिया। इसके बाद राजनीतिक नियुक्तियों, मन्त्रिमण्डल विस्तार में पूरा संतुलन साधा।
किसी राजनेता के लिए उस समय जनहित के फैसले बड़ी चुनोती होते हैं जब उनकी पार्टी में बड़ा खेल चल रहा हो। इस पारी में उन्होंने ये दिखा दिया कि राजनीति के दांव पेंच घिस घिस कर ही आते हैं। उन्होंने राज्य में सरकार तो बचाई ही दूसरी तरफ संगठन को भी कमजोर नहीं होने दिया और प्रदेश का पूरा माहौल बदल दिया है।
विरोधी भी उनकी काबलियत का लोहा मानते हैं। बजट सत्र चल रहा है,अभी उनके पिटारे से न जाने क्या और निकल जाए। बहरहाल, गहलोत के इन बड़े दांव से विपक्ष बगले झांक रहा है,अब उनको चुनावी साल के नजदीक आते मशक्कत कुछ ज्यादा ही करनी होगी। हालात रिकॉर्ड बनने के हो रहे हैं बस नजर गांधी परिवार पर हैं। अगर “राजस्थान के गांधी गहलोत” को नही छेड़ा गया तो कांग्रेस के साथ-साथ प्रदेश की जनता को बड़े फायदे होने तय हैं। Record will be made in Rajasthan
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