Health: दुर्लभ और गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए गुरुवार को बड़ी खबर सामने आई। आमतौर पर दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली दवाइयां काफी महंदी होती है। इस संबंध में बड़ा फैसला करते हुए सरकार ने नेशनल पॉलिसी फार रेयर डिजीज 2021 के तहत लिस्टेड दुर्लभ बीमारियों के लिए प्रयोग में लाई जाने वाली दवाइयों की कस्टम ड्यूटी को फ्री कर दिया है। वित्त मंत्रालय ने अधिसूचना जारी करके इसकी सूचना दी है। इस फैसले से उन लोगों को काफी राहत मिलने की उम्मीद है जो मंहगी दवाइयों और इलाज के उपकरणों के चलते दुर्लभ बीमारियों का इलाज नहीं करा पाते हैं।
एक अनुमान के अनुसार 10 किलो वजन वाले बच्चे को अगर कोई दुर्लभ बीमारी होती है तो इसके इलाज की वार्षिक लागत 10 लाख से 1 करोड़ से अधिक हो सकती है। उपचार को आजीवन चलाने की भी जरूरत हो सकती है, जिसके चलते दवा की लागत बहुत अधिक हो जाती है। उम्र और वजन के साथ डोज और इसी के पैरेलल दवाइयों का खर्च भी बढ़ता रहता है। इनके कस्टम ड्यूटी फ्री होने से दवाइयों के दाम में कमी आएगी जिसका सीधा लाभ रोगी के इलाज में खर्च होने वाली राशि को कम करने में मिल सकेगा।
बता दें कि इससे पहले सरकार ने स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी या ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी जैसी दुर्लभ बीमारियों के उपचार के लिए निर्दिष्ट दवाओं को छूट पहले ही प्रदान की हुई है। वित्त मंत्रालय ने हाल ही में जारी की गई अधिसूचना में बताया, सरकार को अन्य दुर्लभ बीमारियों के उपचार में प्रयोग में लाई जाने वाली दवाओं और उपचार के लिए आवश्यक विशेष खाद्य पदार्थों के लिए सीमा शुल्क में राहत की मांग वाले कई पत्र प्राप्त हुए। इनमें से कई बीमारियों की दवाइयां काफी महंगी होती हैं और इन्हें आयात करने की आवश्यकता है। यह फैसला ऐसे रोगियों के उपचार के लिए खर्च होने वाली मोटी रकम को कम करने में सहायक होगी।
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