(इंडिया न्यूज),जयपुर: (After the Jat community, now the Brahmin community has demanded) राजस्थान में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। लेकिन अभी से राज्य के अहम समुदायों ने अपना दबदबा दिखाना शुरू कर दिया है। राजनीतिक प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए जाति पर आधारित जनसभाओं का आयोजन होना शुरू हो गया है।
बता दें कि राजस्थान की राजधानी जयपुर में 5 मार्च को आयोजित हुए ‘जाट महाकुंभ’ में सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के जाट नेताओं ने शीर्ष राजनीतिक पदों और प्रतिनिधित्व की मांग की थी। अब ब्राह्मण समुदाय ने भी 19 मार्च को जयपुर में अपनी ‘महापंचायत’ बुलाई है।
ब्राह्मण समुदाय की बैठक में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के शामिल होने की उम्मीद जताई जा रही है। विप्र सेना प्रमुख और ब्राह्मण महापंचायत के संयोजक सुनील तिवारी शक्ति प्रदर्शन के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। हालांकि उन्होंने इस कार्यक्रम को एक सामाजिक कार्यक्रम बताया है। तिवारी ने ये भी कहा, कि ‘यह एक सामाजिक कार्यक्रम है जहां समुदाय के लोग इकट्ठा होंगे। समुदाय की अपनी मांगें भी हैं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस दोनों को ब्राह्मण समुदाय बहुल 40 सीटों पर टिकट देना चाहिए।’ समुदाय की अन्य मांगों में विप्र आयोग का गठन, पुजारियों के खिलाफ हिंसा की घटना को अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) अधिनियम की तरह ही गैर-जमानती बनाना, परशुराम जयंती को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करना और ओबीसी आरक्षण की तर्ज पर ईडब्ल्यूएस भत्ते दिए जाना आदि शामिल हैं।
केंद्र और राजस्थान में अधिक राजनीतिक प्रतिनिधित्व के अलावा, जाट समुदाय जाति सर्वेक्षण की भी मांग कर रहा है। राजस्थान जाट महासभा के अध्यक्ष राजाराम मील ने कहा, ‘क्योंकि जाट राजस्थान की आबादी का लगभग 21 प्रतिशत हैं, कांग्रेस और BJP को जाट उम्मीदवारों को कम से कम 40-40 टिकट देने चाहिए।’ कांग्रेस विधायक एवं एक जाट नेता हरीश चौधरी ने जाति सर्वेक्षण की मांग की ताकि यह पता चल सके कि जाट समुदाय के लिए क्या किया जाना चाहिए।
जाट समुदाय को अपने पक्ष में करने के लिए, सत्तारूढ़ कांग्रेस ने अपनी जनसभा से पहले वीर तेजाजी बोर्ड बनाने की घोषणा की थी। इस बीच विपक्ष के उप नेता राजेंद्र राठौर ने कहा कि लोगों का सरकार पर से भरोसा उठ गया है और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अब उन्हें जाति के आधार पर बोर्ड बनाकर लुभाने की कोशिश कर रहे हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता आरसी चौधरी ने कहा कि उनकी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है और पिछड़े, गरीब और वंचित समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न बोर्ड बनाये गए हैं। राजनीतिक टिप्पणीकारों का कहना है कि जाट, ब्राह्मण प्रमुख ‘वोट बैंक’ हैं और जिस तरह से सरकार ने उनकी मांगों को पूरा किया है, वह अन्य जातियों को सड़कों पर आंदोलन करने के लिए उकसा सकता है।