इंडिया न्यूज (Rajasthan CM Ashok Gehlot read wrong budget): राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा में गलती से पिछले साल के बजट की घोषणाएं पढ़ दीं, इतनी बड़ी चूक इतिहास में पहली बार हुई है। यह भी पहली बार हुआ है कि सीएम के बजट भाषण को लेकर विपक्ष के हंगामे के कारण विधानसभा की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी। हालांकि वित्त विभाग के अफसरों की ओर से ध्यान में लाने के बाद सचेतक महेश जोशी ने सीएम को बताया तो उन्होंने बजट भाषण रोक कर पहले विधानसभा में माफी मांगी। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर यह गलती क्यों और कैसे हुई?
इतनी बड़ी गलती क्यों और कैसे हुई?
एक्सपर्ट का कहना है कि विधानसभा में बजट भाषण देने से पहले मुख्यमंत्री उसकी रिहर्सल करते हैं। बजट भाषण को खुद के ऑफिस और वित्त विभाग के टॉप अफसरों के सामने पढ़कर जांचते हैं। तब जाकर बजट भाषण फाइनल होता है। ऐसे में सीएम ने जिस फाइनल कॉपी से रिहर्सल की थी, संभवत: विधानसभा में बजट प्रस्तुत करते समय उनके हाथ में वो कॉपी नहीं थी। इसी वजह से गलती हुई।
अगर सीएम रिहर्सल वाली कॉपी ही पढ़ते तो यह गलती नहीं होती। क्योंकि यही फाइनल कॉपी प्रिंट करवाकर सभी विधायकों को दी जाती है। सीएम ने जिस कॉपी से अपना बजट भाषण पढ़ना शुरू किया था, वह वो कॉपी नहीं थी जो बजट भाषण खत्म होने के बाद विधानसभा में सभी विधायकों को दी जाती हैं। मतलब, सीएम ने भाषण में जो पुराने अंश पढ़े अगर वे मूल कॉपी में होते तो विधायकों को दी गई बजट भाषण की कॉपी में भी वे अंश होते।
बजट भाषण फाइनल सीएम तक कब जाता है
आपको बता दें कि बजट दो पार्ट में बनता है। पार्ट ए और पार्ट बी। पार्ट ए में बजट स्पीच होती है और पार्ट-बी में टैक्स प्रावधान और बजट के आंकड़े होते हैं। बजट बनने की प्रकिया कई दिनों तक चलती है। टैक्स प्रपोजल की गोपनीयता होती है। पार्ट-ए वित्त सचिव (बजट) बनाता है। इस पद पर रोहित गुप्ता कार्यरत हैं। पार्ट-बी टैक्स वाला हिस्सा होता है, जिसको तैयार करने की जिम्मेदारी वित्त सचिव (राजस्व) केके पाठक और वित्त सचिव (व्यय) नरेश ठकराल की थी। इन सभी अफसरों के काम की ओवरऑल मॉनिटरिंग और बजट फाइनल करने की जिम्मेदारी वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अखिल अरोड़ा की थी। इस बार बजट भाषण का ड्राफ्ट बनाने की जिम्मेदारी मौजूदा वित्त सचिव (बजट) रोहित गुप्ता की थी। एक हफ्ते पहले इस स्पीच की कॉपी का ड्राफ्ट सीएम के पास पहुंच जाता है। मुख्यमंत्री के ऑफिस और वित्त विभाग के अफसरों के बीच इस ड्राफ्ट पर कई बार मंथन होता है। कुछ पैराग्राफ नए जोड़े जाते हैं और कुछ हटाए भी जाते हैं। जब स्पीच बनती है तो प्रत्येक विभाग से संबंधित पैरा को उस विभाग के टॉप अफसर को बुलाकर पढ़कर बताया जाता है ताकि भाषा की कोई टेक्निकल गलती नहीं हो। इसका मतलब है कि बजट भाषण तब ही फाइनल होता है जब उस पर पूरी तरह से सभी विभागों से डिस्कस हो जाता है और सभी विभाग संतुष्ट हो जाते हैं।
गलती की संभावनाएं क्या थी
सीएम अशोक गहलोत ने जो बजट भाषण शुरुआत में पढ़ा, उसकी लाइनें पुराने बजट भाषण की नहीं थी। बजट भाषण के 5 पैराग्राफ उन्होंने नए बजट भाषण की मूल कॉपी के ही पढ़े थे। गड़बड़ पांचवें पैराग्राफ के बाद हुई। यानी, ऐसा नहीं है कि सीएम ने पुराना बजट भाषण पढ़ा हो। सीएम जब विधानसभा में अपनी कुर्सी से उठकर डायस पर फाइनल प्रिंट हाथ में लेकर आए, उसके अंदर के पेज या तो गलत लगे हुए थे या सॉफ्ट कॉपी में कट-पेस्ट गलत होने के कारण प्रिंट में पुराने भाषण के अंश आ गए।
बजट भाषण बनाने में क्या गलती हुई
अब सवाल यह उठता है कि सीएम गहलोत ने अपने बजट भाषण में पिछले साल के बजट के अंश पढ़े वह उस कॉपी में क्यों नहीं है जो विधायकों को बांटी गईं। वित्त विभाग के जानकार सूत्र बताते हैं कि मैन स्पीच जो है, वह वही है। जो कॉपी बांटी गई। सीएम के हाथ में जो बजट भाषण की कॉपी थी, उसमें एक कागज कहीं से जुड़ गया, जिसमें पुराने बजट भाषण के अंश थे। इसकी वजह से गलती हुई। यह गलती अगर बजट भाषण में वित्त विभाग से होती तो सीएम की कॉपी के साथ-साथ बजट भाषण की सभी कॉपियों में होती। ऐसे में यह भी संभावना है कि मुख्यमंत्री के हाथ वाली कॉपी में उनके ऑफिस में पैराग्राफ ऊपर-नीचे करते समय यह गलती हुई। संभव यह भी है कि वे उस कॉपी को साथ ले आए जिसमें पुराने बजट भाषण के अंश थे।