जयपुर:(Supreme Court has formed a committee to handle the legacy of Rajasthan): राजस्थान की विरासत को संभालने और बेहतर देख-रेख के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक समिति बनाई है। इस समिति में पांच सदस्य होंगे। आपको बता दे कि ये समिति राजस्थान की प्राचीन और गौरवमय धरोहर के संरक्षण, जीर्णोद्धार और पुनर्निर्माण कार्यों की निगरानी करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने समिति की अध्यक्षता बॉम्बे और राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस प्रदीप नंदराजोग को सौंपी है। कमेटी 21 मार्च 2023 तक स्टेटस रिपोर्ट देगी।
समिति में INTAC दो हैरिटेज आर्किटेक्ट विशेषज्ञ नामांकित करेंगे जो ASI से होंगे। तीन अन्य सदस्य भी होंगे। कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए कहा कि ऐतिहासिक धरोहरों के अंदर और आसपास अतिक्रमण छह हफ्ते में साफ कर दिया जाएं। जस्टिस नंदराजोग को हर एक दौरे के लिए एक लाख रुपए मानदेय सरकार देगी।
सरकार ने साल भर में धरोहरों के लिए एक ही सकारात्मक काम पांच करोड़ रुपए बजट आवंटित किया। अब संरक्षण कार्य और कमेटी के कार्य कलाप का खर्च राजस्थान सरकार देगी। जितना खर्च लगेगा सभी राजस्थान सरकार को भुगतान करना होगा।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने विरासत के बर्बाद होने और सरकारी अमले की उदासीनता पर क्षोभ जताते हुए कहा कि राजस्थान ने अपनी सुनहरी विरासत को बर्बाद करने को अपनी मंजूरी दे दी है। हमने 29 फरवरी 2022 को आदेश दिया था। लगभग साल होने को आ गया लेकिन आपने कुछ भी नहीं किया।
अवमानना का नोटिस जारी करेंगे, किसी को भी नहीं छोड़ेंगे’ कोर्ट ने राजस्थान सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी को भी कहा कि हमारे आदेश के बावजूद सरकार ने कुछ नहीं किया। हम अवमानना का नोटिस जारी करेंगे और किसी को भी नहीं छोड़ेंगे। नाराज कोर्ट ने सिंघवी से पूछा कि विरासत और रजवाड़े की संपदा के रखरखाव और संरक्षण की जिम्मेदारी किसकी थी? सिंघवी बोले जयपुर कलेक्टर की माई लॉर्ड! वही जवाबदेह और जिम्मेदार हैं।
कोर्ट ने फौरन जयपुर कलेक्टर के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का नोटिस जारी कर महीने भर में जवाब मांगा है। मालिकाना हक के विवाद के बीच बरबाद होती विरासत कोर्ट के सामने खेतड़ी सहित कई रजवाड़ों की राजसी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत के लगातार लुटने को रोकने का मसला आया।
खेतड़ी के महाराजा सरदार सिंह के राजपरिवार सहित कई रजवाड़ों में संपदा के मालिकाना हक के विवाद के बीच बरबाद होती विरासत को संभाल कर रखने का भी मसला आया। राज्य सरकार और संबंधित विभाग इस मामले में लापरवाही बरत रहा है। मालिकाना हक का विवाद दशक भर से भी ज्यादा समय से दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित है।
चूंकि खेतड़ी राज परिवार में अब तक वैध तौर पर कोई वारिस नहीं होने से अन्य परिजन विरासत पर दावा कर रहे हैं। मामला अदालत में देख कोर्ट में राजस्थान सरकार ने राजस्थान संपदा नियमन एक्ट 1956 के तहत परिसंपत्तियों के संरक्षण और जीर्णोद्धार का काम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के विशेषज्ञों की निगरानी में ही कराने का आदेश 22 सितंबर 2022 को दिया था।
लेकिन तब से अब तक कुछ भी सुधार न होने से नाराज कोर्ट ने अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि आप कुछ नहीं कर रहे। बस आपने अपनी धरोहर लुटने को छोड़ दी है। ‘हमने खुद अनमोल पेंटिंग्स जमीन पर पड़ी देखी हैं’ पीठ ने राजस्थान के किलों, गढ़, हवेलियों में अनमोल विरासत के उपेक्षित और दयनीय हालत में होने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि लोगबाग उन्हें उठाकर, चोरी कर ले जा रहे हैं। हमने खुद वहां बनी अनमोल पेंटिंग्स जमीन पर पड़ी देखी हैं। ये पीड़ादायक है। जस्टिस पारदीवाला ने अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि हमें अफसोस है कि सुनवाई की वजह से आप लंच नहीं कर पाए। लेकिन आपने विरासत की दुर्दशा दिखाती वो बुकलेट यानी पुस्तिका देख लेते तो आप वैसे ही लंच नहीं कर पाते तब आपकी इच्छा ही नहीं करती।
दरअसल इस सिविल सूट में मूल याचिकाकर्ताओं यानी परिसंपदा के संरक्षण की गुहार लगाने वालों के वकील सीनियर एडवोकेट अर्यमा सुंदरम ने ‘लॉस्ट ट्रेजर’ यानी लूटा खजाना नाम की ये पुस्तिका कोर्ट को दी जिसमें लुटती विरासत के चित्र और ब्योरा है। इसमें कई धरोहर स्थलों पर चार जनवरी 2023 को खींचे गए चित्र और आधिक जानकारी हैं। कोर्ट ने कहा कि ये ही गनीमत है कि राज्य सरकार ने इन संपदाओं के रखरखाव के नाम पर पांच करोड़ रुपए का बजट रखा हुआ है। ये अलग बात है कि न कोई योजना है ना ही काम।