(जयपुर): दिल्ली के महरौली में श्रद्धा वॉकर हत्याकांड जैसी दिल दहलाने वाली घटनाएं राजस्थान में भी हो चुकी हैं। हैवानियत की हदें पार करने वालों ने अपनों को भी नहीं छोड़ा। कई वर्ष पहले अजमेर के किशनगढ़ निवासी निधि ने प्रेमी को घर बुलाकर पति भवानी शंकर का सिर धड़ से अलग कर दिया।
पत्नी ने हैवानियत हद उस समय पार कर दी, जब पति के कटे सिर को छत पर ले गई और पहचान छिपाने के लिए गैस बर्नर में भून डाला। फिर जली हुई मुंडी को बनास नदी की पुलिया के नीचे फेंक दिया और धड़ को देवली रोड पर फेंक आए। पुलिस ने अनुसंधान के बाद आरोपियों को गिरफ्तार किया।
वर्ष 2020 में जोधपुर के बनाड़ थाना क्षेत्र में कृषि विभाग में सहायक कृषि अधिकारी चरणसिंह की हत्या के बाद शरीर के कई टुकड़े कर दिए और टुकड़ों को सीवरेज लाइन में डाल दिया। सुबह लोगों ने सीवरेज के पानी में हाथ-पैर और शाम को सिर बहकर आते देखा, तब तलाशी में धड़ के अन्य टुकड़े सीवरेज लाइन में मिले।
अनुसंधान के बाद पुलिस ने मृतक की वेटरनरी सहायक पत्नी सीमा उसकी दो सहेली व एक युवक को हत्या के मामले में गिरफ्तार किया। पूछताछ में पत्नी ने बताया कि पति पसंद नहीं था। इसलिए उसके टुकड़े करवाकर सीवरेज लाइन में डाल दिए।
वर्ष 2013 में सोडाला स्थित बृजलालपुरा निवासी नीरज सिंह की हत्या कर सिर धड़ से अलग कर अजमेर पुलिया के नीचे रेलवे लाइन पर फेंक दिया गया। हत्या के मामले में उसके जीजा व उसके साथी को गिरफ्तार किया।
पूछताछ में जीजा ने बताया कि उसे आपत्तिजनक स्थिति में देखकर नीरज ने थप्पड़ मार दिया था। इस पर नीरज का सिर अजमेर पुलिया के नीचे फेंक दिया और धड़ के 6 टुकड़े कर सुशीलपुरा नाले के नीचे फेंक दिए। उसकी निशानदेही से धड़ के अन्य टुकड़े बरामद किए ।
अजमेरी गेट स्थित यादगार के सामने बदमाश ने एक व्यक्ति का धड़ से कटा सिर फेंक गए। वारदात करीब एक दशक पुरानी है। पुलिस को मृतक का धड़ मिला ही नहीं। आशंका जताई गई कि शव के कई टुकड़े कर अलग-अलग जगह फेंक दिए गए।
हालांकि पुलिस ने पूरे शहर में सर्च किया, लेकिन धड़ का पता नहीं चल सका। इससे पहले राजधानी में शहर से दिल्ली रोड तक एक व्यक्ति के शव के कई टुकड़े मिलने की घटना भी हो चुकी। तब भी शहर में दहशत हो गई थी।
आजकल ऐसे जघन्य हत्याकांड हो रहे हैं। ऐसे अपराधी विकृत मानसिकता वाले होते हैं। इसमें आदमी निश्चय नहीं कर पाता है कि मारना ही समाधान है। ऐसे आदमी प्रेम की परिभाषा नहीं समझते।
श्रद्धा के माता-पिता ने एक वर्ष से उससे दूरी बना रखी थी, जिससे आरोपी के हौसले बढ़ गए। कभी भी ऐसी स्थिति में समाज के भय से अपनों को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए।