(जयपुर): राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा हैं कि, आईपीडी टॉवर अभी तो बन रहा है, 2 साल लगेंगे उसको बनने में, पर ऐतिहासिक काम है वो भी, महिला हॉस्पिटल के अंदर भी, जेके के अंदर भी, सब जगह इंप्रूवमेंट हो रहा है, राजस्थानभर के अंदर इंप्रूवमेंट हो रहा है, एक ही बात मैंने कही है डॉक्टर्स को कि कृपा करके एक वादा मुझसे आप कर लो कि स्ट्राइक आप नहीं करोगे, आप काली पट्टी बांध लीजिए, अगर आपको नाराजगी है, मांगें हैं सरकार से, काली पट्टी बांध लीजिए, डॉक्टर्स का और स्ट्राइक का तो रिश्ता होना ही नहीं चाहिए क्योंकि डॉक्टर्स तो भगवान का रूप माने जाते हैं, ये जान बचाते हैं हमारी, उनका रिश्ता कैसे हो सकता है स्ट्राइक से? स्ट्राइक होती है तो अंदर मरीज बेचारा तड़पता है, कई लोगों के ऑपरेशन रुक जाते हैं, पोस्टपॉन हो जाते हैं, तो मैंने कहा है कि एक कम से कम मैं ये मांग कर रहा हूं, बाकी मांगें आपकी सब मांगें मैं मंजूर करूंगा, जो आप मांगोगे आगे भी।
राजधानी जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल में मीडिया प्रभारियो से बात करते हुए सीएम गहलोत ने कहा कि खाली जयपुर ही नहीं कह रहा हूं, राजस्थानभर के मेडिकल कॉलेजेज-अस्पताल जो मांग करेंगे सरकार से, मेडिकल मेरी टॉप प्रायोरिटी के अंदर है, टॉप प्रायोरिटी के अंदर है, कोई धन की कमी नहीं आएगी, पर एक मेरी मांग है डॉक्टर्स से कि वो कम से कम स्ट्राइक नहीं करेंगे।
प्राइवेट हॉस्पिटल वालों से मेरी मांग है कि उनको भी चाहिए कि वो संवेदनशीलता दिखाएं, ये शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं जो हैं, ये कॉमर्शियल काम नहीं हैं, संविधान की मूल भावना के अनुरूप ही शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाएं जो हैं वो पैसा कमाने का धंधा नहीं हो सकती हैं, कोई कमाता है तो वो गलत काम करता है, कॉमर्शियल काम नहीं हो सकता है वो, इसीलिए सोसायटी बनती है, ट्रस्ट बनता है, जिससे कि पैसा वहीं सर्कुलेट हो, अगर पैसा बच रहा है, सेविंग हो रहा है, तो वापस आप वहीं खर्च करोगे, इन्वेस्टमें करोगे, उसके एक्सपेंशन में करोगे, ये भावना है, पर मैं समझता हूं कि पूरे मुल्क के अंदर सब लोग इस भावना को नहीं मानते हैं, कई लोग मानते हैं, बड़े-बड़े अस्पताल मैं समझता हूं कि ब्रीच कैंडी की तरह ऐसे भी हैं जो ट्रस्ट बनाकर चलते हैं। जहां तक मुझे जानकारी है, हो सकता है कि मैं गलत भी होऊं, कि कई अस्पताल हैं वो जो बात मैं कह रहा हूं उसको फॉलो भी करते हैं, मुझे खुशी है, मुझे गर्व है उन लोगों पर और जो पैसा साइफन करते हैं मेडिकल अस्पताल खोलकर छोटा-बड़ा जो भी है, वो काम जो है वो ठीक नहीं कर रहे हैं
सीएम गहलोत ने आगे कहा कि अभी, बिल पेश किया असेंबली के अंदर, उसका विरोध किया गया, हमने उसको सलेक्ट कमेटी में भेज दिया, अब ओपीनियन ले रहे हैं पब्लिक की भी, प्राइवेट सेक्टर की भी, मैं चाहूंगा कि अगर मान लो बाहर का कोई आदमी आ गया, एक्सीडेंट हो गया राजस्थान के अंदर, तो हमने कहा है कि जो नियरेस्ट अस्पताल है वहां उसको इलाज करवाना करना ही पड़ेगा, उसको लेकर क्या ऐतराज हो सकता है?
उसको लेकर ऐतराज कर दिया उन लोगों ने, अरे तुम जो काम कर रहे हो, अस्पताल खोल रहे हो और वो तड़प रहा है सड़क पर मान लीजिए बीमार आदमी, तो क्या आपकी मॉरल ड्यूटी भी नहीं है क्या? हम क्यों कहें, सरकार तो कह रही है, कानून ला रही है, जरूरत क्यों पड़ी कानून लाने की? बिना कानून भी अस्पताल के मालिकों की, प्रबंधकों की, डॉक्टर्स की जिम्मेदारी है, बल्कि एंबुलेंस भेजकर खुद मालूम करते और उसका इलाज करवाते, कुछ बातें जिंदगी में ऐसी करनी चाहिए जो जिंदगी में खुद को संतोष मिले, ये देखता हूं मैं कि इसका विरोध कर दिया, और भी कई पॉइंट्स का विरोध किया होगा, आप बातचीत कर लेते हम उनको ठीक कर लेते।
हम भी चाहते हैं कि प्राइवेट सेक्टर का अपना अलग महत्व हो सकता है, सब काम सरकार नहीं कर सकती है, पर अभी कोरोना के अंदर मैंने देखा है कि मुंबई, अहमदाबाद, दिल्ली, एक बेड नहीं मिल रहा है लोगों को क्योंकि ज्यादा अट्टालिकाएं खड़ी हो गईं, बड़े-बड़े अस्पताल बन गए वहां पर और प्राइवेट, लोग कहां जाएं?
चिंता लग गई, राजस्थान इस मामले में बहुत ही सुकून भरा रहा, यहां पर जो हमने पब्लिक सेक्टर में विकास किया है अस्पतालों का, उसके कारण लोगों को तकलीफ नहीं आई, दिल्ली के लोग यहां तक आए हैं, यूपी के लोग यहां तक आए हैं, बाहर के लोग यहां बहुत आए इलाज करवाने के लिए कोरोना के अंदर, तो मुझे खुशी है कि राजस्थान के डॉक्टर्स-नर्सेज कोई कमी नहीं रख रहे हैं, अच्छा काम कर रहे हैं, इन्होंने सिद्ध कर दिया कोरोना के अंदर, मुझे उनके ऊपर गर्व है।