इंडिया न्यूज़, कल्पना वशिष्ठ: राजस्थान का गुलाबी शहर जयपुर इन दिनों कृष्ण भक्ति में सराबोर है। दरअसल, यहां भगवान कृष्ण के जन्म के बाद एक महीने तक “बधाई” कार्यक्रम (Badhai Program) की धूम रहती है। इसमें बधाई गीत गाये-बजाये जाते हैं। ये धार्मिक आयोजन घरों, मंदिरों या किसी भी सार्वजनिक स्थान पर वृद्द लेवल पर होते हैं। पूरी कमान महिलाओं के हाथ में होती है। महिलाओं का समूह उत्साह से गाना बजाना करता है। साज सामान के साथ गीत व नृत्य की छटा देखते ही बनती है।
जब महिलाओं के स्वर अपने “कान्हा” के लिए आबोहवा में गूंजते हैं तो निराली धार्मिक छटा बिखर जाती है। लड्डू गोपाल के प्रति अटूट प्रेम प्यार की ऐसी मिसाल कम ही देखने को मिलती है। सखी-सहेली मिलजुल बधाई के लोकगीत गाती हैं तो आँखें नम रहती हैं, मानो उनके यहां ही किसी नवजात बाल का जन्म हुआ हो,
ये आस्था व अटूट प्यार से भरा मनोरम दृश्य केवल भारत में ही देखने को मिल सकता है। बधाई कार्यक्रम किसी शादी विवाह मांडला कुआ पूजन से कम नहीं होते। युवा से लेकर बुजुर्ग महिलाओं में भी अपने नटखट कान्हा के प्रति अटूट श्रद्धा इस बधाई समारोह में महीने भर देखने को मिलती है। आजकल समूचे जयपुर में इसकी धूम है।।
श्रीगोपाल नगर निवासी शिक्षिका दीपमाला शर्मा बताती हैं कि इस श्रद्धा विश्वास की कोई कीमत नहीं, बस कान्हा के प्रति हर दिन प्रेम बढ़ता है। ये आयोजन महीने भर चलता है। जन्माष्टमी (Janmashtami 2022) के अगले दिन “बधाई गीत” शुरू हो जाते हैं। लोकगीत के स्वर महीने भर चौतरफा सुनाई देते हैं। भगवान कृष्ण के प्रति अटूट प्यार इन दिनों में देखने को मिलता है। पूरा गुलाबी नगर कृष्ण भक्ति में वैसे तो हमेशा रहता है, कृष्णा जन्म के बाद बधाई गीतों का अपना अलग महत्व है।
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