इंडिया न्यूज, लोकेश भारद्वाज(Raksha Bandhan 2022): पंचांग के अनुसार, सावन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हर साल रक्षा बंधन का त्यौहार मनाया जाता है। भाई – बहनों के लिए यह त्यौहार बेहद खास होता है। इस साल ये तिथि दो दिनों में बंट रही है। साथ ही भद्रा का साया भी है। ऐसे में राखी बांधने की डेट और समय को लेकर दुविधा हो रही है।
इसीलिए कंफ्यूजन है कि आपको राखी 11 अगस्त को मनानी चाहिए या 12 अगस्त को। इसी कंफ्यूजन को दूर करने के लिए इंडिया न्यूज़ के संवाददाता लोकेश भरद्वाज ने दिल्ली के प्रसिद्ध आचार्य डॉ. ऋषि भारद्वाज एवं शिति कंठा ज्योतिष केंद्र कनीना महेंद्रगढ़ हरियाणा के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषिराज शर्मा से खास बातचीत की।
जिसमे दिल्ली के प्रसिद्ध आचार्य डॉ. ऋषि भारद्वाज ने बताया कि इस साल की पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को शुरू हो जाएगी। 11 अगस्त 2022 को पूर्णिमा तिथि 10 बजकर 37 मिनट पर शुरू होकर 12 अगस्त को सुबह 07 बजकर 06 मिनट पर समाप्त होगी। लेकिन कुछ लोगो का कहना है कि 11 अगस्त को भद्रा है और उदया तिथि में पूर्णिमा नहीं है। इसलिए रक्षाबंधन 11 अगस्त को ही मनेगी। और आचार्य का कहना है की इस बार 11 अगस्त को भद्रा होने के बावजूद बहनें भाइयों को राखी बांध सकती हैं। 11 अगस्त को शाम 08:53 PM से 09:46 PM तक रखी बांधने का शुभ मुहूर्त है।
वही शिति कंठा ज्योतिष केंद्र कनीना महेंद्रगढ़ हरियाणा के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषिराज शर्मा का कहना है कि यदि कोई 11 अगस्त को रक्षा बंधन का त्यौहार मनाना चाहे तो शाम को 08:53 PM से 09:46 PM तक रखी बांध सकते है यह शुभ मुहूर्त है। लेकिन शास्त्र के अनुसार उदय तिथि मान्य होती जो की 12 अगस्त शुक्रवार को है। 11 अगस्त वृहस्पतिवार को पूर्णिमा टाइम प्रातः 09:35 AM पर प्रवेश करेंगी।
जो की सूर्य उदय के बाद में आएगी। वैदिक मता अनुसार पूर्णिमा उदय तिथि 12 अगस्त को है अतः रक्षा बंधन का पर्व 12 अगस्त को भी मान्य है। और ज्योतिषाचार्य का कहना है की उत्तर भारत में उदय-व्यापिनी पूर्णिमा के दिन,प्रातःकाल को ही यह त्योहार मनाने का प्रचलन है। अतः 12 अगस्त, शुक्रवार को उदयकालिक पूर्णिमा हैं।
बता दें कि इस साल राखी पर भद्रा का साया होने की वजह से राखी बांधने के लिए बहुत कम वक्त मिलेगा। 11 अगस्त के दिन शाम 5 बजकर 17 से लेकर 06 बजकर 16 मिनट तक भद्रा पुंछ रहेगी। फिर 8 बजे तक भद्रा मुख रहेगी। जो राखी के लिए शुभ मुहूर्त नहीं है। लेकिन स्वयं की आपकी इच्छा हो तो चौघड़िया का वक्त ध्यान में रखकर आप राखी बांध सकते हैं। वहीं आचार्य और ज्योतिषाचार्य के मुताबिक भद्रा रक्षाबंधन के दिन पाताललोक में निवास करेंगी ऐसे में इसका असर पृथ्वीवासियों के ऊपर नहीं पड़ेगा।
माना जाता है कि सुर्पन्खा ने रावण को भद्रा में रक्षा सूत्र बांधा था इसलिए 1 वर्ष के भीतर ही रावण का नाश हो गया था। ऐसे में भद्रा काल में राखी बांधना वर्जित माना जाता है, लेकिन आचार्य और ज्योतिषाचार्य का कहना है कि राम चरित्र मानस से लेकर वाल्मीकि रामायण में भगवान राम की बहन की और से राम जी को राखी बांधने का उदाहरण कहीं नहीं दिया गया है। इस वजह से सुर्पन्खा द्वारा रक्षासूत्र बांधे जाने की कहानी पर सवाल खड़े होते हैं।
रक्षा बंधन के दिन बहन के राखी बंधवाते समय भाई को पूरब दिशा की और मुंह करके बैठना चाहिए। साथ ही राखी बांधने के क्रम में बहन का मुख पश्चिम दिशा की और होना चाहिए। इसके बाद राखी की थाली में अक्षत, चंदन, रोली, घी का दीया रखें। सबसे पहले भाई के मस्तक पर रोली और अक्षत का टीका लगाएं। इसके बाद उनकी आरती उतारें। फिर भाई की कलाई पर राखी बांधे और मिठाई से उनका मुह मीठा कराएं। ध्यान रहे कि ऱाखी बांधते वक्त भाई का सिर खाली नहीं रहना चाहिए।
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