इंडिया न्यूज़, Rajasthan News: राजस्थान में इन दिनों पशुओं में लंपी स्किन डिसीज बहुत तेजी से फैल रही है। जिसने पशुपालकों की चिंताएं बढ़ा दी है। राजस्थान में हजारों हजारों गायों को इस बीमारी ने चपेट में ले लिया है। वहीं करीब 3500 से ज्यादा गायों की इससे मौत भी हो चुकी है। राजस्थान के साथ ही गुजरात में भी यह बीमारी फैल रही है। राजस्थान में इस बीमारी ने करीब 80 हजार गायों को अपनी चपेट में ले लिया है।
15 से ज्यादा जिलों में यह बीमारी अपने पैर पसार चुकी है। इससे पशुओं की त्वचा पर गांठें पड़ रही हैं, जिससे बांझपन, लंगड़ेपन, गर्भपात और न्यूमोनिया जैसी दिक्कतें उभर रही हैं। पशुपालन विभाग के अनुसार यह बीमारी गुजरात से सटे सामीवर्ती जिलों के साथ ही जोधपुर संभाग में ज्यादा असर दिखा रही है। लगभग राज्य के आधे हिस्से में लंपी स्किन डिसीज पहुंच चुकी है।
गुजरात व पाकिस्तान बॉर्डर से लगे सात से ज्यादा जिलों में हजारों गायें लंपी स्किन रोग की चपेट में आ चुकी हैं। राजस्थान की बड़ी गौशालाओं में यह रोग ज्यादा फैल रहा है। इन गौशालाओं में सैंकड़ों गायें एक दूसरे के संपर्क में आने की वजह से चपेट में आ रही हैं। राज्य सरकार के निर्देश के बाद पशुधन विभाग ने सभी प्रभावित जिलों व पड़ोसी जिलों में भी अलर्ट जारी किया है। इसी के साथ राजस्थान सरकार ने गौपालन एवं पशुधन विभाग की टीमें भी मैदान में उतार दी हैं।
राजस्थान के कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने इस बीच संबंधित विभागोें के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर हालात की समीक्षा की। उन्होंने बीमारी के उपचार व रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाने के विभागों को निर्देश दिए हैं। पश्चिमी राजस्थान के जालोर, जैसलमेर, बीकानेर जोधपुर, बाड़मेर और सिरोही जिलों में गायों में यह संक्रामक रोग तेजी से फैल रहा है। कटारिया आज भी पशुपालन विभाग के साथ बैठक करेंगे। विभाग ने किसानों को एडवाइजरी जारी करने के साथ ही इस बीमारी से निपटने के लिए फंड भी दिया है।
पशुपालन विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉक्टर आनंद सेजरा ने बताया लंपी स्किन बीमारी से संक्रमित पशु की पहचान आसानी से हो जाती है। इस वायरस के संक्रमण की चपेट में आने के बाद पशु को तेज बुखार आता है और उसके बाद उसकी शारीरिक क्षमताएं कम होने लगती हैं। कुछ दिन बाद ही संक्रमित पशु के शरीर पर चकते के निशान उभर आते हैं। यह रोग एक से दूसरी गाय के सिर्फ संपर्क में आने पर ही फैल रहा है।
लंपी वायरस के संक्रमण को रोकने का अभी तक न तो कोई स्पेशल टीका उपलब्ध है और न ही इस रोग की रोकथाम के लिए बाजार में कोई दवाई है। पशु चिकित्सा विभाग महज बुखार की दवाइयों के साथ एंटीबायटिक दवाओं से ही इसका अब तक उपचार कर रहे हैं। संक्रमण के खतरे के मद्देनजर केन्द्रीय टीम राजस्थान के दौरे पर पहुंची है। टीम राज्य के वायरस संक्रमित जिलों का दौरा कर इस रोग पर काबू पाने के लिए जरूरी कदम उठाने का प्रयास करेगी।
राजस्थान के जैसलमेर, उदयपुर, अजमेर, सिरोही, नागौर, पाली, जालोर और बाड़मेर जिले भी लंपी वायरस की चपेट में हैं। जोधपुर संभाग मुख्यालय से झुंझुनूं व सीकर तक इस रोग असर दिखा है। बीकानेर, गंगानगर और हनुमानगढ़ में भी संक्रमण के सबसे ज्यादा केस सामने आए हैं। पशुपालन विभाग के पास एक अगस्त तक 77 हजार 415 मामले आए हैं।
इनमें से 58 हजार 517 का उपचार हुआ है और अभी 28 हजार 799 पशु ठीक हुए हैं। विभाग का कहना है कि इस संक्रमण के कारण अब तक 3644 पशुओं की मौत हो चुकी है। ॅहालांकि अभी पशुपालन विभाग के पास गायों की मौतों का सटीक आंकड़ा नहीं पहुंच पा रहा है। ऐसे में बीमारी की भयावहता का अंदाजा भी नहीं लग पा रहा है।
लंपी स्किन(Lumpy Skin Disease) होने से पशुओं को तेज बुखार आ जाता है। पशुओं के शरीर पर गांठें बनने लगती हैं। सिर और गर्दन के हिस्सों में काफी दर्द रहता है। इस दौरान पशुओं में दूध देने की क्षमता भी कम हो जाती है।
पिछले कई दिनों में से राजस्थान में इस बिमारी कई पशुओं की मौत हो चुकी है। बीमारी की चपेट में खास तौर से गाय आती है। इसके कारण राजस्थान के कई जिलों में कई गायों की मौते हो चुकी है। यह संक्रामक रोग तेजी से फैल रहा है।
यह वायरस मच्छरों और मक्खियों के जैसे खून चूसने वाले कीड़ों से फैलता है। दूषित पानी, लार और चारे की वजह से पशुओं को ये रोग होता है। पशुओं में जब भी इस बीमारी के लक्षण दिखें तो सबसे पहले अपनी बीमार गाय-भैंसों को सबसे अलग कर दें। उनके खाने-पीने की व्यवस्था भी अलग कर दें। पशुओं को रखने वाले स्थान पर साफ-सफाई रखें। अगर ऐसा नहीं किया गया तो आपके अन्य पशु इस बीमारी से पीड़ित होकर जान गंवा सकते हैं।
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