इंडिया न्यूज़, कल्पना वशिष्ठ (Jaipur News): नन्ही चींटी ज़ब दाना लेकर दीवार पर चढ़ती है, सौ बार फिसलती है, आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती” इन पंक्तियों को चरितार्थ किया है, मुहाना मंडी रोड स्थित अनुकम्पा सोसायटी के नौ बच्चों ने। लम्बे समय और कड़ी मेहनत के बाद इन बच्चों की मेहनत रंग लाई और राजस्थान ताइक्वानडो एसोसिएशन ने इनको ब्लू बेल्ट से नवाजा है।
इनमें अनय सिंघल, तन्मय, देवांश, मेहर, गरीशा, सम्यक, शौर्य, मंदिरा व इशाना शामिल है। नन्हें हाथों की ये बड़ी कामयाबी है। ये सभी लौटस अकादमी से प्रशिक्षण लेते हैं। ऐसा पहली बार हुआ जब एक ही स्थान के इतने बच्चों को ये कामयाबी मिली।
इस योग्यता के लिए खिलाड़ियों को कई बड़े एग्जाम से गुजरना पड़ता है। दमदार फाइट ही इतने आगे पहुंचाती है। बहुत बच्चे पिछड़ भी जाते है। राजस्थान की एसोसिएशन छोटी सी गलती पर भी बेल्ट नहीं देती। इन बच्चों का अब इस खेल में उज्जवल भविष्य है।
एक कोरियाई मार्शल आर्ट है, जिसमें पंचिंग और किकिंग तकनीकों की विशेषता है, जिसमें सिर-ऊंचाई किक, जंपिंग स्पिनिंग किक और फास्ट किकिंग तकनीक पर जोर दिया जाता है। ताए क्वोन डू का शाब्दिक अनुवाद “लात मारना,” “पंचिंग,” और “कला या तरीका” है।
1975 में ग्रैंड मास्टर जिमी जगतियानी द्वारा भारत में ताइक्वांडो की शुरुआत की गई थी। 2 अगस्त 1976 को, ताइक्वांडो फेडरेशन ऑफ इंडिया (TFI) का गठन किया गया और भारत में ताइक्वांडो के एक राष्ट्रीय निकाय के रूप में स्थापित किया गया।
वर्ल्ड ताइक्वांडो की स्थापना 28 मई, 1973 को कुक्कीवोन में हुई इसकी उद्घाटन बैठक में हुई थी, जिसमें दुनिया भर के 35 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। अब 208 सदस्य राष्ट्र हैं। 2004 के बाद से, चाउ चुंग-वोन विश्व तायक्वोंडो के अध्यक्ष रहे हैं, जो पहले राष्ट्रपति किम उन-योंग के उत्तराधिकारी हैं।
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