इंडिया न्यूज़, Rajasthan News(Power Crisis in Rajasthan): राजस्थान के एनर्जी मिनिस्टर भंवर सिंह भाटी ने कहा कि बिजली प्लांटों में 15 अगस्त तक ही कोयला बचा है। जिस प्लांन्ट से अभी कोयले की सप्लाई हो रही है, एक सर्वे के अनुसार वहां करीब 20 दिन का ही कोयला बचा है। बता दे कि छत्तीसगढ़ के पारसा कोल माइंस से अभी कोयले की सप्लाई हो रही है।
जानकारी के अनुसार अगर जल्द ही दो अलग ब्लॉक्स में माइनिंग शुरू नहीं की गई, तो राजस्थान में ब्लैकआउट जैसे हालत बन सकते है। बता दे कि राजस्थान में करीब 4340 मेगावाट बिजली पैदा करने वाले प्लांट केवल छत्तीसगढ़ की कोयला खानों से आने वाले कोयले से ही चलते है। अगर उस प्लांट से कोयला आना बंद हो गया तो ये सभी प्लांट ठप हो जाएगें।
मंत्री भंवर सिंह भाटी ने मांग की है कि केंद्र सरकार जल्द ही दो नई माइनों में कोयला शुरू करवाए। उन्होंने कहा कि अगर कोयला नहीं मिला तो प्रदेश जल्द ही ब्लैक आउट हो जाएगा। केंद्र सरकार ने कहा कि वह ऐसे हालत नहीं होने देगा, इस विषय पर जल्द ही कोयला मंत्रालय से बातचीत की जाएगी।
केंद्रीय बिजली मंत्री आर.के.सिंह ने देश के सभी राज्यों के मंत्रियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत की। इस दौरान मंत्री ने सभी के सामने यह गंभीर मुद्दा रखा। आरके सिंह ने बताया कि जल्द ही कोयला मंत्रालय से बातचीत कर इस समस्या का समाधान करेगें।
कालीसिन्ध थर्मल, छबड़ा सुपर क्रिटिकल थर्मल, सूरतगढ़ सुपर क्रिटिकल थर्मल इन तीनों प्लांट्स में करीब आठ दिन का ही कोयला बचा है। जबकि छबड़ा थर्मल प्लांट में 11 दिन का कोयला बचा है। सूरतगढ़ थर्मल प्लांट में 20 दिन और कोटा थर्मल में भी 16 दिन का कोयला ही बचा है।
जानकरी के अनुसार देश के करीब 5 प्लांट्स तक्नीकी कारणों से ही बंद पड़े है। इनमें छबड़ा की 250 मेगावाट एक यूनिट और सूरतगढ़ की जो यूनिट जो करीब 500 मेगावाट बिजली का उत्पादन करती है दोनों बंद पड़ी है। कोटा थर्मल की 210 मेगावट की एक यूनिट ठप है। जबकि सूरतगढ़ की सुपर क्रिटिकल 660 मेगावट की यूनिट भी इसमें शामिल है। बता से कि कुल 1620 मेगावाट के प्लांट्स ठप पड़े है। सूत्रों के अनुसार कोयला न मिलने के कारण यह प्लांट्स बंद पड़े है। उत्पादन निगम भी इसे शुरू करने में कोई कदम नहीं उठा रहा।
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