इंडिया न्यूज़, Bharatpur News राजस्थान के भरतपुर में पिछले लम्बे समय से डीग इलाके में धार्मिक इलाके में अवैध खनन के विरोध में साधु-संत आंदोलन कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि साधु-संत 551 दिन से इस आंदोलन पर बैठे हैं। इसी आंदोलन के दौरान बुधवार को भरतपुर के पसोपा गांव में एक बाबा विजय दास ने खुद को आग के हवाले कर आत्महत्या की कोशिश की। जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया। जहां उनका इलाज चल रहा है। संत की हालत गंभीर बताई जा रही है।
जहां एक और एक संत ने आंदोलन में खुद को आग लगाकर जान देने की कोशिश की तो वहीं एक बाबा नारायण दास पिछले 29 घंटे से टावर पर चढ़े हुए हैं। जानकारी के अनुसार मंगलवार को नारायणदास बाबा टावर पर चढ़ गए थे। उन्हें लाख समझने पर भी वह निचे नहीं आए। वहीं इस आंदोलन को देखते हुए संभागीय आयुक्त ने भरतपुर के पांच कस्बों में इंटरनेट बंद कर दिया था। वहीं आत्महत्या की कोशिश करने वाले बाबा को भरतपुर के राज बहादुर मेमोरियल अस्पताल में भर्ती किया गया है।
जानकारी के अनुसार एक बाबा हरिबोल ने 17 जुलाई को आत्मदाह करने की चेतावनी दी थी। जिसको देखते हुए धरना स्थल पर पुलिस बल को तैनात कर दिया गया था। बाबा ने आत्मदाह ही चेतावनी देते हुए कहा था कि मेरी मृत्यु का समय अब निश्चित है, इसको कोई नहीं बदल सकता, प्रशासन चाहे कितनी भी पुलिस लगा दे, 19 जुलाई को मेरा मरना तय है। और मेरी मृत्यु की जिम्मेदार राजस्थान सरकार होगी। वही सोमवार को साधु-संतों की पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह के साथ मीटिंग हुई थी। लेकिन इसके बाद बाबा ने कहा था कि मीटिंग तो पहले भी होती है।
वहीं साधु-संतों का कहना है कि कनकाचल और आदि बद्री पर्वत धार्मिक आस्था का प्रतीक है। जहां आदि में भगवान बद्री के दर्शन होते हैं, तो कनकाचल पर्वत में कई पौराणिक अवशेष हैं। जिनकी जिनकी श्रद्धालु परिक्रमा करते हैं। इसलिए यहां खनन करना सही नहीं है। इससे प्रकृति को नुकसान पहुँचता है।
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