इंडिया न्यूज़, Rajasthan News: राजस्थान के बॉर्डर से लगते इलाके में अब लगातार हेरोईन की तस्करी बढ़ती जा रही है। जानकारी के अनुसार यह हेरोईन पाकिस्तान से आ रही है। कहा जा रहा है कि अब नशे को सप्लाई करने के तरीके भी बदल गए है जहां पहले बॉर्डर पर गोले की तरह नशा फेंक कर या फिर पाइप का प्रयोग करके नशे की तस्करी होती थी, वहीं अब ड्रोन की सहायता से तस्करी हो रही है।
जानकारी के अनुसार 14 अप्रैल से लेकर 27 जून तक 70 करोड़ की हेरोईन श्रीगंगानगर इलाके से लगते पाकिस्तानी बॉडर से ही पकड़ी गई है। कहा जा रहा है कि अब तस्करों ने तस्करी करने के लिए बॉडर से सटे इलाके के किसानों से सबंध बना रखे है। किसनों को हर पैकेट के पीछे करीब एक लाख की रकम दी जा रही है। इसी के लालच में वह नशे के पैकेट को अपने खेत में रख लेते है।
14 अप्रैल को अनूपगढ़ के गांव बिंजौर से करीब 20 करोड़ की हेरोईन पकड़ी गई है। जिसका वजन करीब 4 किलो बताया जा रहा है। इसके अलावा श्रीकरणपुर के एक गांव से 1 जून को 5 किलो हेरोईन पकड़ी गई है। जिसकी कीमत 25 करोड़ कही जा रही है। इसके अलावा श्रीकरणपुर के गजसिंहपुर सैक्टर में भी 7 जून को करीब 3 किलो नशा पकड़ा गया। जिसकी कीमत करीब 17 करोड़ है। 27 जून को भी जिले के दो एफ सी मुकन गांव से लगभग 3.5 किलो हेरोईन पकड़ी गई है।
कहा जा रहा है कि ड्रोन करीब 4 किलो वजन उड़ाकर ले जाने में सक्षम है। इन्हें करीब 4 किलोमीटर दूर से ही ऑपरेट किया जा सकता है। BSF के सूत्रों के अनुसार साइलेंट ड्रोन का प्रयोग नशे की तस्करी में होता है। ये ड्रोन जब पास आते है तभी पंखा चलने जैसी आवाज आती है।
दूर से इन ड्रोन का कुछ पता नहीं चल पता। इसी कारण ऐसे ड्रोन को रोक पाना संभव नहीं होता। जितने समय में ड्रोन का पता लगता है इतने में वह अपना काम कर वापस सीमा पार चला जाता है। सप्लाई करने के लिए (कला गुलाब जामुन दुकान के पास) जैसे कोड का प्रयोग किया जाता है ताकि किसी को इस तस्करी की भनक भी न लगे।
इस मामले से निपटने के लिए एंटी ड्रोन तकनीक पर बीएसएफ विचार कर रही है। इसके लिए कुछ कंपनियों से भी बात-चीत की गई है। ताकि ड्रोन की एंट्री रोकी जा सके। एसपी आनंद शर्मा ने कहा कि किसान पैसे के लालच में आकर अपराध कर रहे है। उन्हें इसके प्रति पैकेट के लिए एक लाख रुपये दिए जा रहे है।
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