इंडिया न्यूज, Rajasthan News : राजस्थान में बाड़मेर के छोटे से गांव के किसान के बेटे शंकरसिंह ने असिस्टेंट प्रोफेसर एग्जाम (इतिहास) में ऑल राजस्थान में टॉप किया है। शंकरसिंह ने राइटिंग एग्जाम में इतने नंबर (200/150) हासिल कर लिए थे कि इंटरव्यू में 1-2 नंबर मिल जाते तो भी सलेक्शन हो जाता।
टॉपर शंकरसिह पोटलिया का परिवार उन्हें आईएएस, आईपीएस बनाना चाहते था, लेकिन शंकरसिंह का इंटरेस्ट पढ़ने और पढ़ाने में रहा। शंकरसिंह का मानना है कि मैंने जो पढ़ा, जो मेरा ज्ञान है। आने वाली पीढ़ी शिक्षण व शोध के माध्यम से ही दिया जा सकता है।
दरअसल, आरपीएससी ने दो दिन पहले असिस्टेंट प्रोफेसर (इतिहास) का रिजल्ट घोषित किया था। बाड़मेर जिले के श्रीरामवाला गांव के रहने वाले शंकरसिंह पोटलिया ने असिस्टेंट प्रोफेसर (इतिहास) में राजस्थान में पहली रैक हासिल की है। शंकरसिह के पिता किसान है। माता गृहणी है। शंकरसिह एक बहन व एक भाई है। शादी 2019 में हुई थी। पत्नी ने एम ए की हुई है।
चयनित प्रोफेसर शंकरसिंह का मानना है कि स्टूडेंट को अपनी रूचि के अनुसार अपना टारगेट तय करना चाहिए। स्टूडेंट को अपनी लाइफ हर तरह की परेशानी आती है। इकोनॉमी परेशानी के अलावा भी कई परेशानियों होती है। छोटी-मोटी परेशानी मुझे भी आई है। एमए में मेरा एडमिशन हुआ और पहली बार बनारस गया था। मुझे यह लगा कि मैं गलत जगह आ गया हूं। एक साल तक यही लगता रहा, लेकिन फिर मैंने यह निर्णय लिया कि अपनी जिंदगी से कब तक शिकायतें करते रहेंगं। किसी टारगेट के प्रति खुद का फोकस नहीं होगा, तब तक आप कुछ भी हासिल नही कर पाएंगे। इसके बाद इसी टारगेट को रखा और मुझे मुड़कर कभी नहीं देखा।
शंकरसिंह का कहना है कि बनारस में जब एमए कर रहा था तो कई बार स्टूडेंट को पढ़ाने व रिसर्च करने का मौका लगता था। 2018 से पीएचडी कर रहा हूं जब प्रोफेसर छुट्टी पर होते तब उनकी जगह क्लास लेने का मौका मिलता था। इसी रूचि के साथ मुझे लगा कि इस फिल्ड मैं जस्टिस कर पाऊंगा।
चयनित प्रोफेसर का कहना है कि मेरा शुरू से पढ़ने और पढ़ने का शौक रहा है। परिवार व दोस्तों के कहने पर मैंने आरएएस के प्री एग्जाम दिए थे और मेरा मुख्य परीक्षा में भी चयन हो गया था। लेकिन मेरा इंटरेस्ट नहीं होने की वजह से बिना पढ़े दिया था। 2018 से वैकेंसी का इंतजार कर रहा था। 2020 में आई लेकिन कोरोनाकाल की वजह से लेट होता गया। सितंबर 2021 में इसके एग्जाम हुए थे। इंटरव्यू कुछ दिन पहले ही हुए थे। रिजल्ट में ऑल राजस्थान में इतिहास में पहली रैंक लगी है।
शंकरसिंह का कहना है कि जयपुर में जब ग्रेज्यूशन कर रहा था। तब मेरे कॉलेज दोस्त और रूम मेट सब लेक्चरर व असिस्टेंट प्रोफेसर की तैयारियों में लगे हुए थे। रूम मेट हरदान बालोतरा कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर इंकोनॉमी विषय (2015) में राजस्थान में तीसरे नंबर पर रहे थे। उनसे प्रेरणा लेकर जेआरएफ और पीएचईडी का चुना और इस वैकेंसी का इंतजार कर रहा था।
प्रोफेसर का कहना है कि बीते पांच सालों से इस वेकेंसी का इंतजार कर रहा हूं। इस दौरान मैंने यूजीसी नेट व जेआरएफ के एग्जाम देता रहा। दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड का एग्जाम दिया था। इसमें तीसरी रैक लगी थी। यूपी उच्चतर शिक्षा चयन आयोग का इंटरव्यू दिया था। इसमें 30 में से 27 नंबर मिले थे। साल 2020 में आरपीएससी असिस्टेंट का एग्जाम सितंबर 2021 में हुआ था। इसमें मेरे 200 में 150 नंबर मिले थे। इसी माह इंटरव्यू के बाद मैरिट लिस्ट निकली उसमें मेरा ऑल राजस्थान में पहली रैक लगी।
प्रोफेसर शंकरसिंह का कहना है कि हाल ही में दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड में स्कूल प्रवक्ता (इतिहास) में चयन हो गया था। 14 जुलाई तक ज्वाइन करना था। लेकिन अब मेरा चयन असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर हो गया है। अब में राजस्थान में ज्वाइन करूंगा।
शंकरसिह ने 5वीं तक की पढाई गांव की सरकारी स्कूल में की थी। 10वीं तक चौहटन की आदर्श विद्या मंदिर स्कूल में थी। 12वीं महर्षि गौतम स्कूल जोधपुर से की थी। साल 2014 में ग्रेज्यूशन राजस्थान कॉलेज जयपुर से की थी। साल 2017 में एमए बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी वाराणसी से की थी। जेआरएफ क्लीयर करके साल 2018 से बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से इतिहास विभाग से पीएचईडी चल रही है।
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