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मेहनत से पाया मुकाम, आखों की रौशनी नहीं फिर भी 10वीं में हासिल किए 95.33 प्रतिशत नंबर

• LAST UPDATED : June 25, 2022

इंडिया न्यूज़, Bikaner News: कहते है न की जो काम लगन से किया जाए उसे पूरा होने से कोई भी नहीं रोक सकता। ऐसा ही एक उदहारण बीकानेर के विष्णु उपाध्याय का ले लीजिए। जिन्हे जन्म से ही कुछ भी दिखाई नहीं देता फिर भी 10वीं क्लास में दिव्यांग श्रेणी में उन्होंने टॉप कर 95.33 प्रतिशत अंक हासिल किए है।

जानकारी के अनुसार किन्ही कारण से उसका रिजल्ट रुक गया था तो चेहरे पर मायूसी थी। लेकिन जैसे ही उसे रिजल्ट मिला तो घर वालों की आखों से आँसू नहीं रुक रहे थे, क्योंकि उसने पांच सब्जेक्ट्स में 90 प्रतिशत से ज्याद अंक प्राप्त किए थे और इनमें से साइंस और मेथ्स में तो 99-99 अंक प्राप्त किए है।

पिता है ऑटो रिक्शा चालक

विष्णु के पिता एक ऑटो चालक है और ऑटो चालक होने के कारण वह अपने बेटे की सारी जरूरते तो पूरी नहीं कर पाते। लेकिन बेटे ने वह कर दिखाया जो किसी ने सोचा भी नहीं था और अब विष्णु का कहना है कि वह IAS बनाना चाहता है। बता दे की विष्णु का जन्म बीकानेर के दियातरा गांव के एक छोटे से परिवार में जसराज के घर हुआ तो पता चला की बच्चे की आखों की रोशनी नहीं है और बच्चा देख नहीं सकता तो सब उदास थे। लेकिन अब उसी बच्चे ने इतने अच्छे अंक प्राप्त किए है तो पुरे परिवार में ख़ुशी की लहर है।

विष्णु की पढ़ने की स्पीड है बहुत तेज

बताया जा रहा है कि अगर आप विष्णु को पढ़ते हुए सुनते है तो आप यह अंदाजा भी नहीं लगा सकते की वह आखों से नहीं देख सकता। क्योंकि वह इतनी तेज गति से पढ़ता है कि एक आम विद्यार्थी भी इतनी तेज गति से नहीं पढ़ सकता। बता दे की वह ब्रेल पद्धति से पढता है। जैसे की पहले बताया गया था की वह इसे पद्धति से पढ़कर IAS बनाना चाहता है।

खेलों में भी है दिलचस्पी

बताया जा रहा है कि विष्णु की शुरू से ही खेलों में बहुत दिलचस्पी है और वह चैस खेलने में माहिर है और क्रिकेट का भी बहुत शौकीन है। धोनी और विराट उसके फेवरेट खिलाडी है, वह ब्रेल गेम से अच्छा क्रिकेट खेल लेता है।

स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया कि विष्णु पढाई में शुरू से ही बहुत अच्छा है और राज्य के सभी दिव्यांग स्टूडेंट्स में उसने टॉप किया है। लेकिन इसकी अभी तक अधिकृत रिपोर्ट नहीं आई है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में कुछ ही निजी संस्थाओ के आलावा कुल 4 स्कूल है जो नेत्रहीन बचो को पढ़ते है।

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