कल्पना वशिष्ठ, जयपुर:
राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की त्वरित पहल से पीड़िता को तुरंत राजस्थान हाईकोर्ट में निशुल्क याचिका पेश करने पर राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायधीश न्यायालय क्रमांक 8 ने याचिका को स्वीकार कर राज्य सरकार के प्रमुख शासन सचिव गृह, पुलिस महानिदेशक, कमिश्नर जयपुर, थानाधिकारी बजाज नगर सहित थाने के अन्य पुलिसकर्मियों को 17 मई को जवाब के पेश करने के आदेश जारी किए। साथ ही जयपुर पुलिस कमिश्नर पीड़ित परिवादियों के जीवन जीने और जीवन यापन की सुरक्षा उपलब्ध कराने के भी आदेश दिए हैं।
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के उपसचिव द्वितीय न्यायाधीश रविकांत सोनी ने पीड़ित परिवारों को तत्काल निशुल्क न्याय करने की दिशा में विधिक सेवा प्राधिकरण जयपुर महानगर प्रथम को आदेशित कर कहा अन्वेषण अधिकारी बिना सचिव को सूचित किए पीड़ित पक्षकार से कोई अन्वेषण ना करें।
सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वितिय महानगर को निर्देशित कर कहा कि पीड़ित को सहारा देने के दिशा में सक्षम पदाधिकारियों से सवाई मानसिंह अस्पताल जयपुर के मनोचिकित्सक से काउंसलिंग सेवाएं पीड़ितों को उपलब्ध कराएं।
साथ में घटनाक्रम वाले दिन 13 अप्रैल से 16 अप्रैल तक थाने की सीसीटीवी कैमरे में रिकॉर्ड भी अनुसंधान पूरा होने तक सुरक्षित रखने और न्यायालय में लाने के निर्देश जारी किए। वही हाई कोर्ट विधिक समिती जयपुर को प्रार्थी गणों के प्रकरण की सीबीआई में प्राथमिकी दर्ज कर याचिका पेश कर निरंतर मॉनिटरिंग के आदेश जारी किए।
उल्लेखनिये है की परिवादी मोनिका चौधरी की ओर से व्यक्तिश: उपस्थिति के साथ राजस्थान यूराज्य विधिक सेवा प्राधिकरण कार्यालय घटनाक्रम की जानकारी देते हुए सादा कागज पर प्रार्थना पत्र पेश कर बताया कि परिवादी एक निजी कोचिंग सेंटर में रिसेप्शनिस्ट पद पर नौकरी करती है। वहां कुछ असामाजिक तत्व अवैध चौथ वसूली के सिलसिले में आए दिन आते रहते हैं। और परेशान करते रहते हैं।
इस बात की सूचना कई बार बजाज नगर थाने को दी गई। लेकिन वह आपसी राजीनामा करने का दबाव डालकर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे थे। ज्यादा ही परेशान करने पर एक दिन पीड़िता कोचिंग संचालक के साथ बजाज नगर थाने में लिखित शिकायत दर्ज करवाने पहुंची।
लेकिन थाना और अपराधियों के बीच में विशेष सांठगांठ होने के कारण थाना अधिकारी की मौजूदगी में शांति भंग के आरोप में पीड़िता को ही बुरी तरह मारपीट कर दो-तीन दिन तक अवैध हिरासत में रखते हुए जमानत का अभाव दिखाते हुए जेल भिजवा दिया। पुलिसकर्मी इतने पर ही नहीं माने महिला परिवादी से पुरुष पुलिसकर्मियों द्वारा गलत तरीके से शरीर को छूना गाली गलौज करना मारपीट करना भी पुलिस अधिनियम 2007 के नियमों के खुलेआम अवहेलना की।
महिला मानव अधिकार अधिनियम की भी पुरुष पुलिसकर्मी द्वारा थाना परिसर में थाना अधिकारी की मौजूदगी में पुलिस अभिरक्षा में अत्याचार किया गया। जिसके तमाम सबूत और तथ्य प्राधीकरण कार्यालय में पुष्टि होने पर पीड़ित परिवारों को तत्काल निशुल्क विधिक अधिवक्ता उपलब्ध कराते हुए हाईकोर्ट में एक रिट याचिका पेश की जिसमें न्यायालय के न्यायधीश नरेंद्र सिंह ढड्ढा ने राज्य सरकार के प्रमुख शासन सचिव पुलिस महानिदेशक कमिश्नर थानाधिकारी बजाज नगर सहित अन्य पुलिसकर्मियों को 17 मई तक जवाब पेश करने का आदेश दिया।
प्राधिकरण के विभिन्न पदों पर पदासीन न्यायधीशों ने कार्यकारी सदस्य न्यायधीश दिनेश गुप्ता ने भी थाना परिसर में पुलिस कर्मियों द्वारा किए गए अपराध में यह भी प्रमाणित पाया कि बिना किसी एंट्री के परिवादी को ही लॉकअप में रखना, शांति भंग में सक्षम अधिकारी के पेश करने में भी पुलिसकर्मियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए आमजन के हितों को नुकसान पहुंचाया है, जोकि व्यक्तिगत सुरक्षा के अधिकार आर्टिकल 19 और 21 के तहत सीधे तौर पर हनन किया है,
वहीं पुलिस कर्मियों ने लोक सेवक की मयार्दा को ताक पर रखकर महिला परिवादी के शारीरिक अंगों को पुलिस कर्मियों द्वारा गलत इरादे से छूना भी गंभीर अपराधिक प्रकरण की श्रेणी में आता है। इन सभी तथ्यों को स्वीकार कर, स्थान राज्य हाई कोर्ट विधिक सेवा समिति ने हाईकोर्ट में विशेष याचिका दर्ज करने हेतु तुरंत निशुल्क अधिवक्ता उपलब्ध कराते हुए हाईकोर्ट में एक रिट याचिका पेश कर इस अधिनियम के स्लोगन सस्ता सुलभ और तुरंत निशुल्क न्याय सभी के लिए, न्याय आपके द्वार, जैसी परिभाषा को कागजों पर ही ना दिखाकर प्रत्यक्ष में जीवंत भी किया है।
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